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थानागाजी मामला- कटारिया ने सरकार पर साधा निशाना, बोले- थोड़ी भी नैतिकता बची है तो इस्तीफा दें CM गहलोत

locationउदयपुरPublished: May 12, 2019 11:51:32 am

Submitted by:

abdul bari

कटारिया ने कहा कि किसी बड़े सरकारी स्तर पर बहुत जिम्म्देार व्यक्ति ने इस मामले को 6 तारीख तक शाम तक छुपाए रखने का काम किया, जिससे मशीनरी ढीली पड़ गई।

 कटारिया

थानागाजी गैंगरेप मामले में कटारिया ने साधा सरकार पर निशाना, बोले – थोड़ी भी नैतिकता बची है तो इस्तीफा दें गहलोत

उदयपुर.
अलवर के थानागाजी गैंगरेप मामले में राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बढ़ते अपराधों पर घेरकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। कटारिया रविवार को उदयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब मैं गृहमंत्री था तब कांग्रेसी रोज मुझसे इस्तीफा मांगते थे, लेकिन अब थोड़ी भी नैतिकता बची है तो गहलोत को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।

कटारिया ने कहा कि इस घटना ने सारे राजस्थान के लोगों को शर्मिंदा किया है, लेकिन इससे ज्यादा शर्मिंदा सरकार को होना चाहिए। जिसने इस घटना को इतने दिन दबाए रखा और चुनाव होते ही ये घटना उजागर हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनावी फायदे के लिए इस घटना को दबाए रखा। किसी बड़े सरकारी स्तर पर बहुत जिम्म्देार व्यक्ति ने इस मामले को 6 तारीख तक शाम तक छुपाए रखने का काम किया, जिससे मशीनरी ढीली पड़ गई। इस मौके पर कटारिया ने मुख्यमंत्री गहलोत के गृहक्षेत्र जोधपुर को लेकर भी बयान दिया उन्होंने कहा कि जोधपुर में सबसे ज्यादा 38 ℅ अपराध बढ़े हैं।
गहलोत ने लगाया था राजे सरकार पर आरोप


गौरतलब है कि इससे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गैंगरेप की इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा था कि दुर्भाग्य से राजस्थान में ऐसी घटनाएं लंबे समय से चली आ रही हैं। कभी बीकानेर, कभी सीकर तो कभी अलवर में। महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दौरान उन्होंने राजे सरकार पर भी आरोप लगाया था कि पूर्व सरकार की खामियों के कारण ये घटनाऐं सामने आ रही हैं, क्योंकि पूर्व गृहमंत्री एफआईआर दर्ज होने की संख्या में कमी होने के आधार पर तारीफ करते रहे और इससे परेशानी और बढ़ गई। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि उन्होंने सरकार बनते ही डीजीपी को संख्या की चिंता नहीं करने और थाने में पहुंचने वाले प्रत्येक व्यक्ति की एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे, जबकि पहले अपराध की संख्या कम दिखाने के लिए एफआईआर ही दर्ज नहीं की जा रही थीं।
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