राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान देश भर में शुरू कर दिया गया है। यह टीका बच्चों को खसरा और रूबेला बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करेगा। चिकित्सा विभाग के अनुसार इस एमआर वैक्सिन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है तथा यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है। दुनिया भर में में वर्ष 2012 में लगभग 100,000 रूबेला के मामले सामने आए थे। 2012 में सबसे अधिक मामलों वाले देश थे टिमोर, लेस्ट, मेसिडोनिया, थाइलैंड, ताजिकिस्तान, और सीरिया सर्वाधिक चपेट में आया था।
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क्या है मीजल्स-रूबेला
मीजल्स रूबेला को देश में खसरे के नाम से जाना जाता है। खसरा और रूबेला बच्चों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। इसके कारण बच्चों को विकलांगता और असमय मृत्यु होने का खतरा रहता है। अगर गर्भवती महिला है तो इसका असर उसके नवजात भ्रूण या नवजात शिशु के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है।
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केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान की शुरुआत 6 अगस्त 2018 को की थी। इस योजना के अंतर्गत 9 माह से लेकर 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। इस अभियान के तहत हर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण के लिए सरकारी, गैर सरकारी, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, आश्रम-छात्रावास, मदरसा तथा आवासीय स्कूल एवं अन्य स्कूलों के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में ये टीके लगेंगे। सभी चिकित्सक संगठनों से भी सहयोग का आग्रह किया गया है। इसके अलावा गांवों में बचे बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए ट्रेंड मेडिकल टीमों को गांव में भेजकर सभी बच्चों का टीकाकरण किये जाने की योजना बनाई गई है।——–
क्या है मीजल्स-रूबेला
मीजल्स रूबेला को देश में खसरे के नाम से जाना जाता है। खसरा और रूबेला बच्चों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। इसके कारण बच्चों को विकलांगता और असमय मृत्यु होने का खतरा रहता है। अगर गर्भवती महिला है तो इसका असर उसके नवजात भ्रूण या नवजात शिशु के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है।
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केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान की शुरुआत 6 अगस्त 2018 को की थी। इस योजना के अंतर्गत 9 माह से लेकर 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। इस अभियान के तहत हर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण के लिए सरकारी, गैर सरकारी, केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, आश्रम-छात्रावास, मदरसा तथा आवासीय स्कूल एवं अन्य स्कूलों के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में ये टीके लगेंगे। सभी चिकित्सक संगठनों से भी सहयोग का आग्रह किया गया है। इसके अलावा गांवों में बचे बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए ट्रेंड मेडिकल टीमों को गांव में भेजकर सभी बच्चों का टीकाकरण किये जाने की योजना बनाई गई है।——–
२८ राज्यों में ये टीकाकरण हो चुका है, ये टीका सुरक्षित है और सभी को लगवाना अनिवार्य है। सभी बच्चों को स्कूल में ये टीके लगाए जाएंगे। ८५ प्रतिशत जो अनुपस्थित होंगे उसकी सूची पीएचसी पर जाएगी, छूटे हुए बच्चों को जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, उनका टीकाकरण घर-घर किया जाएगा।
डॉ अशोक आदित्य, आरसीएचओ उदयपुर —-