—– तेजी से चल रहे हाथ पैर…एक दिन में पांच सौ तैयार इनकी आंखे बस उस सिलाई मशीन की सुई पर ही टिकी रहती है तो तेजी से इनके हाथ पैर चल रहे है। ये इतनी गति से काम कर रहे है कि ये एक दिन के करीब 500 मास्क तैयार कर रहे हैं। जब से कोविड-19 के संक्रमण ने तेजी पकड़ी है तब से ये अब तक करीब 5 हजार कपड़े के मास्क तैयार कर चुके है। ये विशेष मोटे कॉटन से तैयार किए जा रहे हैं, ये मास्क रीयूज किए जाते हैं, क्योंकि एक बार पहनने के बाद इन्हें ऑटोक्लेव मशीन के जरिए सेनेटाइज करने के बाद फिर से इस्तेमाल किया जाता है। ये मास्क दो हरे व नीले रंगों के कपड़े से तैयार हो रहे हैं। इससे पहले भी इनकी भूमिका बेहद खास इसलिए मानी जाती है, क्योंकि ये ऑपरेशन थियेटर्स के टॉवेल व क्लॉथ किट तैयार करते हैं।
ये मास्क 450 सर्जिकल मास्क व सर्जिकल केप धोकर ऑटोक्लेव करने के बाद इसे पूरे सेनेटाइज सिस्टम फिर से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे री-यूज किए जा रहे हैं। बाद में इनसे एप्रीन भी बनवाए जाएंगे। 21 मार्च से लगातार ये तीनों मास्क तैयार करने का काम कर रहे हैं, ये मास्क तैयार करने के बाद इसे स्टोर में दिया जाता है, स्टोर से ऑटोक्लेव में सेनेटाइज होने के बाद इसे जरूरत के आधार पर विभिन्न विभागों में व वार्डो में दिए जा रहे हैं।
—- हॉस्पिटल ने खरीदा कपड़ा स्टाफ को संक्रमण से बचाने के लिए हॉस्पिटल प्रशासन ने तीन से पांच हजार मीटर हरा व नीले रंग का कॉटन का कपड़ा खरीदा है ताकि पूरी संख्या में मास्क तैयार हो सके।
— अब तक इतनी हो चुकी है खपत- पिछले दिनों का आंकड़ा – मास्क एन-95- 3474- मास्क- थ्री लेयर- 40 हजार – क्लॉथ मास्क- 2056- सोडियम हाइपोक्लोराइट- 765 लीटर- पीपीई किट- 1975- हैंड सेनेटाइजर- 796 बोतल, 500 एमएल पैक
——— ये तीनों नियमित अपने काम में जुटे हैं, जिस तरह से मास्क व केप की खपत हो रही है, इसे देखते हुए चिकित्सालय प्रशासन ने ये त्वरित निर्णय लिया है कि चिकित्सकों से लेकर स्टाफ की सुरक्षा के लिए ये बेहद जरूरी है। अब ये सभी काम छोडकऱ फिलहाल मास्क व केप ही तैयार कर रहे हैं।
डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर