scriptसिलाई मशीन से चिपक गए हैं इनके हाथ-पैर, रात दिन तैयार कर रहे मास्क व केप | Their hands and feet are stuck with the sewing machine, preparing mask | Patrika News

सिलाई मशीन से चिपक गए हैं इनके हाथ-पैर, रात दिन तैयार कर रहे मास्क व केप

locationउदयपुरPublished: Mar 31, 2020 06:59:28 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– मास्क कम ना पड़े इसके लिए एमबी हॉस्पिटल ने बिठाए खुद के तीन सरकारी दर्जी
– सुबह से शाम तक तैयार हो रहे है करीब 500 कपड़े के मास्क व केप
– प्रतिदिन की खपत करीब ढाई हजार मास्क व केप

सिलाई मशीन से चिपक गए हैं इनके हाथ-पैर, रात दिन तैयार कर रहे मास्क व केप

सिलाई मशीन से चिपक गए हैं इनके हाथ-पैर, रात दिन तैयार कर रहे मास्क व केप

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. घर के तमाम कामों को दरकिनार कर, हर काम को हल्का मान ये तीन सरकारी दर्जी जैसे सिलाई मशीन से अपने हाथ पैर ऐसे जोड़ चुके हैं, जैसे उस मशीन से खुद चिपक ही गए हो। सुबह पौ फटने से लेकर सूरज ढलने तक ये इस कमरे से कहीं बाहर नहीं जाते क्योंकि ये इस छोटे से कमरे से बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाने का बीड़ा उठा चुके हैं। इनका नाम है ललित खींची, सुनील बागड़ी और चंदा कंवर। ये तीनों सरकारी दर्जी हैं। सरकारी इसलिए कि बकायदा ये हॉस्पिटल के सरकारी मुलाजिम हैं। आम दिनों में ये हॉस्पिटल के अन्य कपड़ों को तैयार करने के काम में जुटे रहते हैं, लेकिन इन दिनों केवल एक ही काम इनके सिर चढकऱ बोल रहा है कपड़े के मास्क व केप तैयार करना। इन तीनों को कपड़ा मुहैया करवाने से लेकर अन्य इनकी समस्याओं का दूर करने का काम यहां के स्टोर प्रभारी कर रहे है, वे हैं स्टोर प्रभारी दीपक लखारा।
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तेजी से चल रहे हाथ पैर…एक दिन में पांच सौ तैयार इनकी आंखे बस उस सिलाई मशीन की सुई पर ही टिकी रहती है तो तेजी से इनके हाथ पैर चल रहे है। ये इतनी गति से काम कर रहे है कि ये एक दिन के करीब 500 मास्क तैयार कर रहे हैं। जब से कोविड-19 के संक्रमण ने तेजी पकड़ी है तब से ये अब तक करीब 5 हजार कपड़े के मास्क तैयार कर चुके है। ये विशेष मोटे कॉटन से तैयार किए जा रहे हैं, ये मास्क रीयूज किए जाते हैं, क्योंकि एक बार पहनने के बाद इन्हें ऑटोक्लेव मशीन के जरिए सेनेटाइज करने के बाद फिर से इस्तेमाल किया जाता है। ये मास्क दो हरे व नीले रंगों के कपड़े से तैयार हो रहे हैं। इससे पहले भी इनकी भूमिका बेहद खास इसलिए मानी जाती है, क्योंकि ये ऑपरेशन थियेटर्स के टॉवेल व क्लॉथ किट तैयार करते हैं।
ये मास्क

450 सर्जिकल मास्क व सर्जिकल केप धोकर ऑटोक्लेव करने के बाद इसे पूरे सेनेटाइज सिस्टम फिर से इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे री-यूज किए जा रहे हैं। बाद में इनसे एप्रीन भी बनवाए जाएंगे। 21 मार्च से लगातार ये तीनों मास्क तैयार करने का काम कर रहे हैं, ये मास्क तैयार करने के बाद इसे स्टोर में दिया जाता है, स्टोर से ऑटोक्लेव में सेनेटाइज होने के बाद इसे जरूरत के आधार पर विभिन्न विभागों में व वार्डो में दिए जा रहे हैं।
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हॉस्पिटल ने खरीदा कपड़ा स्टाफ को संक्रमण से बचाने के लिए हॉस्पिटल प्रशासन ने तीन से पांच हजार मीटर हरा व नीले रंग का कॉटन का कपड़ा खरीदा है ताकि पूरी संख्या में मास्क तैयार हो सके।

अब तक इतनी हो चुकी है खपत- पिछले दिनों का आंकड़ा – मास्क एन-95- 3474- मास्क- थ्री लेयर- 40 हजार – क्लॉथ मास्क- 2056- सोडियम हाइपोक्लोराइट- 765 लीटर- पीपीई किट- 1975- हैंड सेनेटाइजर- 796 बोतल, 500 एमएल पैक
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ये तीनों नियमित अपने काम में जुटे हैं, जिस तरह से मास्क व केप की खपत हो रही है, इसे देखते हुए चिकित्सालय प्रशासन ने ये त्वरित निर्णय लिया है कि चिकित्सकों से लेकर स्टाफ की सुरक्षा के लिए ये बेहद जरूरी है। अब ये सभी काम छोडकऱ फिलहाल मास्क व केप ही तैयार कर रहे हैं।
डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर

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