—- पत्रिका ने उठाया था मामला- श्रम विभाग ने जारी किया आदेश पत्रिका ने गत दिनों इस पर मामला उठाया था, इसे लेकर श्रम विभाग ने तत्काल चिकित्सालय को इस मामले में पत्र भी भेजा था। बताया जा रहा है कि चिकित्सालय अधीक्षक ने इस पर निर्णय लेने के लिए यानी तत्काल इसके विकल्प के आदेश दे दिए हैं, लेकिन अकाउन्ट शाखा ने जानबूझकर आदेश दबा रखे हैं। गत 7 अगस्त को पत्रिका ने ‘इतना पैसा तो दे दो साहब कि पेट पल जाए’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले को उठाया था।
—– महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में एमएनडीवाय और एमएनजेवाय (मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा व जांच योजना) के तहत ठेके पर जो कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में कम कर रहे हैं इनकी संख्या करीब 120 ऑपरेटर हैं। इन्हें वर्तमान में प्रति ऑपरेटर 7774 रुपए न्यूनतम मानदेय मिलना चाहिए, जबकि इन सभी को मानदेय केवल 4500 रुपए दिया जा रहा है। ठेका लेने वाली फर्म उनके पैसे काटकर उन्हें पूरा मानेदय नहीं दे रही है। जबकि दूसरी ओर जनाना हॉस्पिटल में इन कार्मिकों को 7774 रुपए दिए जा रहे हैं। यदि नियमानुसार 18 प्रतिशत जीएसटी व दो प्रतिशत टीडीएस भी काटा जाता है तो न्यूनतम इन ऑपरेटर्स को साढ़े सात हजार रुपए मिलना ही चाहिए। 6 मार्च 2019 को जारी श्रम कानून के अनुसार कार्मिकों के पीएफ व इएसआई की राशि को नियमानुसार जमा किया जाना जरूरी है, लेकिन ये भी नहीं हो रहा है।
—- ये है नियम – न्यूनतम दर दैनिक 299 रुपए जरूरी है, जबकि यदि मासिक चार कार्य दिवस की राशि को रोका जाए तो 26 दिन की राशि 7774 रुपए होती है। गत 6 सितम्बर 19 को अधीक्षक डॉ लाखन पोसवाल ने पत्र जारी कर इन ऑपरेटर्स को 299 रुपए प्रतिदिन देने के आदेश दिए थे, बावजूद इसके इसका पालन नहीं हो रहा।
—- इसका जवाब कौन देगा: काफी समय से ये ऑपरेटर्स कम्प्यूटर कार्य कर रहे हैं, उन्हें नियमानुसार पैसा नहीं मिल रहा है, ऐसे में यदि अब चिकित्सालय इस फर्म से काम लेकर दूसरी फर्म को देती है तो इन ऑपरेटर्स का वह पैसा कौन चुकाएगा जो उन्हें नियमानुसार नहीं दिया गया। चर्चा तो ये है कि इसमें ऑपरेटर्स मांग रखेंगे कि इस फर्म की अमानत राशि काट उन्हें भुगतान करवाया जाए।
—– मैंने तो प्रबन्धन को लिखकर दे दिया है कि मेरे पैसे कम पड़ रहे हैं, काम किसी ओर को दे दो, अब प्रबन्धन हीं नहीं दे रहा है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं।
कैलाशसिंह चौहान, प्रोपाइटर मेवाड़ सिक्यूरिटी —– हम जल्द ही इस काम को किसी अन्य एजेंसी को सौंप रहे हैं, इसे लेकर तैयारी कर ली है। डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर