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एप से कमाई करने वालों पर ज्यादा मार, बाहरी राज्यों की पुलिस खाता फ्रीज करने में जरा भी नहीं करती देरी

केस 01 शहर के 20 साल के युवक का खाता 25 जुलाई की शाम को फ्रीज हो गया। इस युवक ने बैंक से संपर्क किया तो वहां से पता चला कि तमिलनाडु की साइबर सेल ने इसे फ्रीज करवाया है। युवक ने उदयपुर की साइबर शाखा में संपर्क किया तो उन्होंने बैंक डिटेल देखकर तमिलनाडु की साइबर शाखा से संपर्क किया और अपनी तरफ से युवक के सही होने की बात कही। जल्द ही उसका खाता अनफ्रीज कराने की बात कही। केस 02 एक माह पहले एक इले क्ट्रिक व्यवसायी के खाते में किसी ग्राहक ने 12 हजार रुपए ट्रांसफर किए गए। इसमें से कुछ राशि फ्रॉड की थी। ऐसे में उसका खाता गुजरात साइबर ब्रांच ने फ्रीज कर दिया। व्यवसायी ने स्थानीय साइबर शाखा में संपर्क किया। सभी प्रकार की जांच में वह सही पाया गया। इस पर साइबर शाखा ने गुजरात साइबर ब्रांच से संपर्क किया और करीब 8 से 10 दिन में खाता अनफ्रीज करवाया।

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उदयपुर. डिजिटल ट्रांजेक्शन बढऩे के साथ हर छोटे-बड़े व्यापारी के साथ नई तरह की परेशानी भी शुरू हो गई है। छोटे-छोटे पेमेंट ट्रांजिक्शन में भी गलत राशि का भुगतान आने पर खाते फ्रीज हो रहे हैं। व्यापारी को पता नहीं होता कि उसे ऑनलाइन पेमेंट करने वाले का स्टेटस क्या है? और अगर पेमेंट करने वाले के खाते में धोखाधड़ी, ठगी की राशि जमा हुई है तो खमियाजा व्यापारी को खाता फ्रीज करवाने के रूप में भुगतना पड़ रहा है। अमूमन ऑनलाइन जॉब करने, ऑनलाइन गेम खेलने, एप से कमाई करने वालों पर ज्यादा मार पड़ रही है। साइबर क्राइम रोकने के वाले नेशनल पोर्टल पर पहुंचने वाली शिकायतों पर कार्रवाई होती है। जिस खाते में फ्रॉड की राशि जमा हुई है, उसे सीज करने के साथ ही, उस खाते से राशि जिस-जिस खाते में गई, उसे भी सीज कर दिया जा रहा है। कड़ी से कड़ी जोडऩे की प्रक्रिया में वे आम लोग भी परेशान हो रहे हैं, जो काम के बदले डिजिटल पेमेंट ले रहे हैं।

प्रतिदिन हो रहे 35 से 40 खाते फ्रिज: एक अनुमान के मुताबिक शहर में विभिन्न बैंकों की ब्रांचों में प्रतिदिन 35 से 40 खाते फ्रिज करवाए जा रहे है। ये खाते साइबर थानों के साथ ही सरकार की अन्य एजेंसियों के माध्यम से फ्रिज करवाए जाते हैं। इनमें से अ धिकतर मामलों में आम आदमी ही होते हैं।

ऐसे अनफ्रीज करवाएं अकाउंट

अगर किसी व्यक्ति का खाता एक बार फ्रीज हो जाए तो उसे बैंक में संपर्क करना होता है। वहां उसे एक एप्लीकेशन देनी होती है। इसके बाद बैंक की ओर से खाता किस एजेंसी के कहने पर फ्रीज किया गया है और संबंधित अधिकारी का नाम और नंबर उपलब्ध करवाया जाता है। इसके बाद उस अधिकारी से संपर्क करना होता है। पूरी प्रक्रिया में जब जांच एजेंसी इस बात से संतुष्ट हो जाती है कि शिकायतकर्ता कहीं गलत नहीं है, इसके बाद उसके खाते को अनफ्रीज किया जाता है।

यह आती है परेशानी

उदयपुर के एक व्यक्ति का खाता तमिलनाडु से फ्रीज किया गया। ऐसे में अगर वह सीधा तमिलनाड़ु के अधिकारी को संपर्क करता तो वह उसे पूरी डिटेल लेकर वहां बुलाया जाता। जांच से संतुष्ट होने पर ही खाता अन फ्रीज किया जाता। हालांकि ऐसे मामलों में यदि पीडि़त स्थानीय साइबर सेल में सम्पर्क करते हैं तो उन्हें मदद की जाती है। लेकिन ज्यादातर लोग इस प्रक्रिया से अनजान है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अधिकतर लोग खाता फ्रीज होने पर बैंक से ही पता लगाकर संबंधित प्रदेश में जाकर अधिकारी से संपर्क करते हैं। जिससे उन्हें अ धिक परेशानी होती है। यदि ऐसे पीडि़त व्य क्ति साइबर थाने में आते हैं तो हमारी ओर से बैंक डिटेल की जांच की जाती है। व्यक्ति के खाते में उससे पूर्व किसी प्रकार की गलत राशि नहीं आई होती है तो हम संबंधित प्रदेश की शाखा को जांच रिपोर्ट और स्थानीय व्यक्ति का प्रार्थना पत्र भेजते हैं। जिसके आधार पर उनकी ओर से अकाउंट अनफ्रीज करने की कार्रवाई की जाती है। -लीलाराम, प्रभारी साइबर थाना, उदयपुर