
उदयपुर . देवास द्वितीय योजना में बने आकोदड़ा-मादड़ी डेम और इससे शहर तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई करीब 11.05 किलोमीटर की टनल शनिवार को जांच में सुरक्षित पाई गई। यह बात शनिवार को टनल का निरीक्षण करने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कही। टनल की जांच करने के लिए जहां इसमें एक छोर से ट्रैक्टर से प्रवेश करवाया गया, वहीं दूसरे सिरे से अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रवेश कर टनल की जांच की।
अधिकारियों के मुताबिक टनल को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। टनल के ऊपर करनाली से डामरवाड़ा मार्ग के करीब शुक्रवार तडक़े एक टीला धंस गया जिससे टनल को नुकसान होने का अंदेशा था। इसी संशय को दूर करने के लिए शनिवार को अतिरिक्त कार्यभार मुख्य अभियंता राजेश टेपण के नेतृत्व में सिंचाई विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और विशेषज्ञों की टीम टनल के कोडिय़ात वाले छोर पर पहुंचे।
टै्रक्टर के जरिये दल ने कोडियात से टनल में प्रवेश किया, वहीं एक अन्य दल आकोदड़ा से टनल में उतरा। दोनों दलों ने टनल का बारिकी से निरीक्षण किया। टेपण ने बताया कि निरीक्षण में पूरी टनल सुरक्षित पाई गई है। भूमि के धंसने को लेकर भू वैज्ञानिकों से परामर्श लिया जाएगा और भविष्य में भी टनल को किसी प्रकार का नुकसान न हो, इसके प्रबंध किए जाएंगे।
बढ़ गया स्खलन का दायरा
करनाली से डामरवाड़ा मार्ग पर शुक्रवार तडक़े जहां टीला धंसा था, वहां शनिवार को गड्ढा गहरा होने के साथ ही इसका फैलाव भी बढ़ गया। शनिवार शाम तक इस गड्ढे में मिट्टी गिरती रही जिससे इसका दायरा बढ़ता रहा।
टनल में जीप फंसी, उतारा ट्रैक्टर
विभागीय सूत्रों ने बताया कि कोडिय़ात से टनल का निरीक्षण करने के लिए पहले विभाग की जीप को अंदर प्रवेश करवाया गया, लेकिन थोड़ा आगे जाने के बाद एक जगह अधिक पानी होने के चलते जीप बंद हो गई। ऐसे में जीप को पुन: बाहर निकाला गया और ट्रैक्टर के माध्यम से टनल की जांच की गई।
नीचे बनी है कैंची
टनल निर्माण के दौरान कार्य करने वाले एक श्रमिक ने बताया कि जिस जगह जमीन धंसी है। उसके नीचे दो चट्टानों की कैंची बनी हुई है जिससे टनल में घुमाव देकर पूरा किया गया है।
विधायक ने किया निरीक्षण
ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने शनिवार को करनाली में मौके का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि अधिकारियों से बात हुई है। उन्होंने बताया है कि टनल को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। विशेषज्ञों की राय लेकर टनल का सुरक्षित रखने के साथ ही गड्ढ़े को पुन: मिट्टी डालकर पाटा जाएगा।
Published on:
12 Nov 2017 02:54 pm
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