प्रार्थी अधिवक्ता अशोक सिंघवी कहते है कि पिछोला झील पेयजल का प्रमुख स्त्रोत है, शहरवासी इसका पानी पी रहे हैं। कू्रज संचालन से झीलें प्रदूषित होगी। न्यायालय का यह आदेश निश्चित रूप से जनता के लिए राहत भरा है। झील बचाने को लेकर हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
झील संरक्षण समिति के सदस्य तेजशंकर पालीवाल, पर्यावरणविद आर एम लोढ़ा, अधिवकता मनीष शर्मा, प्रवीण खंडेलवाल, सेवानिवृत अतिरिक्त मुख्य नगर नियोगक सतीश कुमार श्रीमाली, महिला कांग्रेस अध्यक्ष नजमा मेवाफरोश, जनता सेना के नेता सुनील लोढ़ा, शैलेन्द्र टेलर, इन्द्र मेनारिया, हंसा हिंगड़, नरेन्द्र सिंह शेखावत आदि ने खुशी जाहिर की।
बता दे कि गुरुवार को पिछोला झील में उदयपुर नगरनिगम द्वारा उतारे गए विशालकाय क्रूज को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 15 दिन में बाहर निकालने के आदेश दिए। न्यायालय का ये निर्णय जनता के लिए राहत भरा रहा। तेजशंकर पालीवाल व अन्य ने नगर निगम, जिला कलेक्टर व राज्य सरकार के विरूद्ध धारा 151 सीआरपीसी के तहत न्यायालय में आवेदन पेश किया था। आवेदन में बताया गया कि पिछोला झील पेयजल का मुख्य स्रोत है और यहां निगम ने क्रू ज की अनुमति दी थी।
क्रूज के चलने से झील के पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन होगा, जलीय जीव जंतु मरेंगे । ऐसे में इसे तुरंत प्रभाव से चलने से रोका जाना चाहिए। इस बीच होली के मौके पर बिना एनओसी ही निगम ने झील में क्रूज उतार दिया था। इस पर परिवादियों ने एक अन्य आवेदन पेश कर क्रूज को झील से बाहर निकालने की मांग की थी। न्यायालय ने आदेश के बाद नगर निगम को 15 दिन में क्रूज को बाहर निकाल कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।