
उदयपुर . संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय और बड़ी स्थित क्षय रोग हॉस्पिटल में मरीजों को एक्स-रे फिल्म के साथ लिफाफे देने में कंजूसी की जा रही है। तत्काल डवलप एक्सरे फिल्म मरीजों को सौंपकर स्टाफ जिम्मेदारी की इतिश्री कर रहे हैं।
इन चिकित्सालयों में यह समस्या नई नहीं है, बल्कि बीते कई सालों से बनी हुई है। चिकित्सालय में बकायदा निविदा निकाल कर लिफाफों की खरीद बता कर भुगतान की व्यवस्था जारी है, लेकिन खामी को दूर करने के लिए किसी भी स्तर पर सुधार के प्रयास नहीं किए गए। जानबूझकर की जा रही गलती का खमियाजा है कि मरीज लिफाफे के अभाव में एक्स-रे फिल्म को लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रख पाता। मुडऩे और टूटने के कारण एक्सरे फिल्म बिगड़ जाती है।
हाथों हाथ असर भी
सालाना औसत के हिसाब से चिकित्सालय स्तर पर निविदाएं आमंत्रित की जाती है। यह ठेका लाखों रुपए का होता है। निविदा प्रक्रिया के बाद एक औसत से एमबी हॉस्पिटल में प्रतिदिन 500 लिफाफे की खपत होती है। शनिवार व रविवार के अलावा त्योहार के दिन मरीजों की संख्या कम होने के दौरान एक्स-रे कम होते हैं। लिफाफा नहीं देने के बारे में पूछताछ के बाद ही एमबी हॉस्पिटल में असर दिखाई देने लगा। शनिवार से ही चिकित्सालय में लिफाफे में एक्स-रे फिल्म देने का सिलसिला शुरू हो गया, जबकि टीबी हॉस्पिटल में फिलहाल लिफाफा देने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। टीबी हॉस्पिटल से जुड़े कुछ रेजीडेंट गलती को छिपाने के लिए यह तर्क देने से नहीं चूके कि गीली फिल्म अक्सर लिफाफे चिपक जाती है। अगले ही पल यह भी कहते दिखे कि खुले हाथ लगने से एक्स-रे फिल्म भी प्रभाावित होती है।
मेरी जानकारी में तो एक्स-रे फिल्म के साथ लिफाफे दिए जाते हैं। ऐसा प्रावधान भी है, लेकिन किसी स्तर पर खामी रही है तो जानकारी जुटाकर व्यवस्था सुधार भी कराया जाएगा।
डॉ. विनय जोशी, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल, उदयपुर
Published on:
05 Nov 2017 02:22 pm
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