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मेडिकल बिल पास करने के एवज में ली थी 200 रुपए की रिश्वत, अब आरोपी को मिली सजा

मेडिकल बिल पास करने के एवज में 15 साल पहले डूंगरपुर के सीमलवाड़ा के एक अध्यापक से दो सौ रुपए रिश्वत लेने के आरोपी कनिष्ठ लिपिक को न्यायालय ने तीन साल की सजा व 20 हजार रुपए जुर्माने के आदेश दिए।

Supreme Court strict on 27 percent reservation to OBC in MP
Supreme Court strict on 27 percent reservation to OBC in MP- फोटो पत्रिका

उदयपुर। मेडिकल बिल पास करने के एवज में 15 साल पहले डूंगरपुर के सीमलवाड़ा के एक अध्यापक से दो सौ रुपए रिश्वत लेने के आरोपी कनिष्ठ लिपिक को न्यायालय ने तीन साल की सजा व 20 हजार रुपए जुर्माने के आदेश दिए।

डूंगरपुर जिले के चिखली गांव निवासी कनिष्ठ लिपिक नरेश कुमार (59) पुत्र बिहारीलाल पाटीदार को डूंगरपुर एसीबी टीम ने 12 अक्टूबर 2010 को परिवादी अजय कुमार मीणा से 150 रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था। आरोपी ने सत्यापन पुष्टि के दौरान 50 रुपए पहले ले लिए थे। चालान पेश होने पर अभियोजन विभाग के सहायक निदेशक राजेश कुमार पारीक ने 15 गवाह 59 दस्तावेज पेश किए।

आरोप सिद्ध होने पर विशिष्ट न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण क्रम-1 मनीष अग्रवाल ने आरोपी को भष्टाचार निवारण में अधिनियम 1988 की धारा 7 व धारा 13 (1) (बी) सपठित 13 (2) में 3-3 साल की कैद व 10-10 हजार रुपए की सजा सुनाई। न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि वर्तमान समय में लोक सेवकों द्वारा आमजन के जायज कार्यों को करने के बदले में कार्यो को अटका कर रिश्वत मांगे जाने की समाज में प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसे दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त को कारावास की सजा से दंडित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

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यह था मामला

डूंगरपुर एसीबी कार्यालय में गत 9 अक्टूबर 2010 को अजय कुमार मीणा ने रिपोर्ट दी कि वह राजकीय प्राथमिक विद्यालय गड़ा कोकल पंचायत समिति सीमलवाड़ा डूंगरपुर में तृतीय श्रेणी अध्यापक है। इसके पुत्र भावेश, मनीष, पुत्री खुशबू, पत्नी लक्ष्मी तथा उसके स्वयं के 2054 रुपए के मेडिकल बिल ब्लाक प्रारंभिक शिक्षा पंचायत में पेश किए। वहां पर लेखा शाखा का अतिरिक्त प्रभार देख रहे कनिष्ठ लिपिक नरेश पाटीदार ने 200 रुपए की रिश्वत मांगी। टीम ने सत्यापन के बाद उसे पकड़ लिया।