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यहां आड़ी-टेढ़ी स्टेयरिंग घुमाई तो नहीं मिलेगा लाइसेंस

locationउदयपुरPublished: Aug 07, 2019 01:00:34 am

Submitted by:

Mohammed illiyas

यहां आड़ी-टेढ़ी स्टेयरिंग घुमाई तो नहीं मिलेगा लाइसेंस

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यहां आड़ी-टेढ़ी स्टेयरिंग घुमाई तो नहीं मिलेगा लाइसेंस

यहां आड़ी-टेढ़ी स्टेयरिंग घुमाई तो नहीं मिलेगा लाइसेंस
मोहम्मद इलियास/उदयपुर
दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए आरएसआरडीसी की ओर से प्रदेश के अन्य जिलों की तरह शहर के चित्रकूटनगर में भी करीब एक करोड़ की लागत से ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक बनकर तैयार हो गया है। बाउण्ड्रीवॉल तैयार होते ही परिवहन विभाग इसमें कम्प्यूटरीकरण व ऑटोमेशन करवाएंगी। इसके बाद इस ट्रेक पर वाहन चलाने वाले को ही लाइसेंस मिल पाएगा। ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक पर पहले यूआइटी ने लाखों रुपए खर्च कर ट्रेक का स्ट्रक्चर खड़ा किया था, लेकिन ऑटो मेटिक ड्राइविंग टे्रक के आदेश के बाद उसे जमींदोज कर अपगे्रड किया गया। ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक के अभाव में अभी परिवहन विभाग अभी सडक़ पर ही वाहन चलाने के आधार पर ही अंदाज से लाइसेंस बना रहा है।
राज्य सरकार ने राज्य में भरतपुर, कोटा, अलवर, चित्तौडगढ़़, दौसा, पाली, सीकर, जयपुर, उदयपुर के प्रादेशिक परिवहन कार्यालय एवं डीडवाना जिला कार्यालय पर ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक के आदेश दिए थे। उसके बाद उदयपुर में गत वर्ष जनवरी में आरएसआरडीसी ने यहां पर करीब एक करोड़ की लागत से ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक का निर्माण करवाया। इस कार्य में अब तक 80 लाख खर्च हो चुके हैं तथा बाउण्ड्रीवॉल के निर्माण के लिए 16 लाख का बजट और जारी हुआ है। परिवहन विभाग के ट्रेक सुपुर्द होते मुख्यालय के आदेश पर यहां पर लाइसेंस का काम शुरू होगा।
अनट्रेंड का रुकेगा लाइसेंस
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक नहीं बनने से लाइसेंस के लिए जब वाहन चलवाकर देखा जाता है तो इसमें अलग-अलग मार्गों पर वाहन चलाने का चालक को अनुभव है या नहीं इसका पता नहीं लग पाता है। सीधी सामान्य सडक़ पर कोई भी इस परीक्षा को पास कर लेता है। ऐसे में बाद में दुर्घटनाएं होती हैं। कई अनट्रेंड ड्राइवरों को भी लाइसेंस मिल जाता है। इस ट्रेक पर पास होने के बाद ही चालक को लाइसेंस मिल पाएगा।
कम्प्यूटर करेगा निर्णय
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक बनने के बाद चालक वाहन चलाने लायक है या नहीं इसका निर्णय कम्प्यूटर करेगा। हल्के वाहन के लिए गोलाकार में बनाए गए आठ, दुपहिया वाहन के लिए घुमावदार मोड़ व भारी वाहनों के लिए 4 के आकार का ट्रेक बनाया गया है। मोड़ में घुमाते समय अगर सही स्टेरिंग नहीं घूमी तो सेंसर पर व्हील टच होते ही बिप की आवाज के साथ ही चालक फेल हो जाएगा। यहां पर आवेदक को एक बार ही बल्कि दो से तीन बार टेस्ट देना होगा उसके बाद ही उसे लाइसेंस मिल पाएगा। इससे जहां दुर्घटनाओं में कमी आई वहीं अनट्रेंड गाड़ी चलाने के लिए अधिकृत नहीं होगा। इन सभी टेस्टों की कैमरों के माध्यम से मॉनीटरिंग की जाएगी। एनालिसिस करने के आधार पर कंप्यूटर फेल-पास का रिजल्ट जारी करेगा। चार ट्रेक पर ट्रायल में पास होने पर ग्रीन सिग्नल जलेगा और यदि रेड सिग्नल जलेगा तो आवेदक को फेल माना जाएगा।

सीआईआरटी पूणे के डीपीआर अनुसार ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक पूरी तरह से तैयार हो चुका है। सुपुर्दगी की प्रक्रिया होने के बाद मुख्यालय से आदेशानुसार अग्रिम कार्रवाई करेंगे।
डॉ.मन्नालाल रावत, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी,

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