अनट्रेंड का रुकेगा लाइसेंस
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक नहीं बनने से लाइसेंस के लिए जब वाहन चलवाकर देखा जाता है तो इसमें अलग-अलग मार्गों पर वाहन चलाने का चालक को अनुभव है या नहीं इसका पता नहीं लग पाता है। सीधी सामान्य सडक़ पर कोई भी इस परीक्षा को पास कर लेता है। ऐसे में बाद में दुर्घटनाएं होती हैं। कई अनट्रेंड ड्राइवरों को भी लाइसेंस मिल जाता है। इस ट्रेक पर पास होने के बाद ही चालक को लाइसेंस मिल पाएगा।
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक नहीं बनने से लाइसेंस के लिए जब वाहन चलवाकर देखा जाता है तो इसमें अलग-अलग मार्गों पर वाहन चलाने का चालक को अनुभव है या नहीं इसका पता नहीं लग पाता है। सीधी सामान्य सडक़ पर कोई भी इस परीक्षा को पास कर लेता है। ऐसे में बाद में दुर्घटनाएं होती हैं। कई अनट्रेंड ड्राइवरों को भी लाइसेंस मिल जाता है। इस ट्रेक पर पास होने के बाद ही चालक को लाइसेंस मिल पाएगा।
कम्प्यूटर करेगा निर्णय
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक बनने के बाद चालक वाहन चलाने लायक है या नहीं इसका निर्णय कम्प्यूटर करेगा। हल्के वाहन के लिए गोलाकार में बनाए गए आठ, दुपहिया वाहन के लिए घुमावदार मोड़ व भारी वाहनों के लिए 4 के आकार का ट्रेक बनाया गया है। मोड़ में घुमाते समय अगर सही स्टेरिंग नहीं घूमी तो सेंसर पर व्हील टच होते ही बिप की आवाज के साथ ही चालक फेल हो जाएगा। यहां पर आवेदक को एक बार ही बल्कि दो से तीन बार टेस्ट देना होगा उसके बाद ही उसे लाइसेंस मिल पाएगा। इससे जहां दुर्घटनाओं में कमी आई वहीं अनट्रेंड गाड़ी चलाने के लिए अधिकृत नहीं होगा। इन सभी टेस्टों की कैमरों के माध्यम से मॉनीटरिंग की जाएगी। एनालिसिस करने के आधार पर कंप्यूटर फेल-पास का रिजल्ट जारी करेगा। चार ट्रेक पर ट्रायल में पास होने पर ग्रीन सिग्नल जलेगा और यदि रेड सिग्नल जलेगा तो आवेदक को फेल माना जाएगा।
ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक बनने के बाद चालक वाहन चलाने लायक है या नहीं इसका निर्णय कम्प्यूटर करेगा। हल्के वाहन के लिए गोलाकार में बनाए गए आठ, दुपहिया वाहन के लिए घुमावदार मोड़ व भारी वाहनों के लिए 4 के आकार का ट्रेक बनाया गया है। मोड़ में घुमाते समय अगर सही स्टेरिंग नहीं घूमी तो सेंसर पर व्हील टच होते ही बिप की आवाज के साथ ही चालक फेल हो जाएगा। यहां पर आवेदक को एक बार ही बल्कि दो से तीन बार टेस्ट देना होगा उसके बाद ही उसे लाइसेंस मिल पाएगा। इससे जहां दुर्घटनाओं में कमी आई वहीं अनट्रेंड गाड़ी चलाने के लिए अधिकृत नहीं होगा। इन सभी टेस्टों की कैमरों के माध्यम से मॉनीटरिंग की जाएगी। एनालिसिस करने के आधार पर कंप्यूटर फेल-पास का रिजल्ट जारी करेगा। चार ट्रेक पर ट्रायल में पास होने पर ग्रीन सिग्नल जलेगा और यदि रेड सिग्नल जलेगा तो आवेदक को फेल माना जाएगा।
— सीआईआरटी पूणे के डीपीआर अनुसार ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक पूरी तरह से तैयार हो चुका है। सुपुर्दगी की प्रक्रिया होने के बाद मुख्यालय से आदेशानुसार अग्रिम कार्रवाई करेंगे।
डॉ.मन्नालाल रावत, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी,
डॉ.मन्नालाल रावत, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी,