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राज्य सरकार ने हाथ क्या खींचा, निगम कंगाल के द्वार

राज्य सरकार ने हाथ क्या खींचा, निगम कंगाल के द्वार

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पिछली सरकार की ओर से चुंगी पुनर्भरण राशि में करीब 55 करोड़ की कटौती करते ही नगर निगम का खजाना गड़बड़ा गया है। खजाने काे भरने के लिए निगम लगातार प्रयास करते हुए राजस्व बढ़ाने के साधन जुटा रही है। अब तक सरकार निगम को अधिकतम 110 करोड़ सालाना देती आ रही है। जिससे निगम के अधिकारियों, कार्मिकों के वेतन भत्तों के साथ ही विकास कार्य आसानी से हो रहे थे, लेकिन अब इस राशि को सिर्फ वेतन, भत्ते और एरियर पर खर्च करने का आदेश जारी कर सरकार ने 10 प्रतिशत सालाना वृद्धि पर रोक लगा दी।
इस आदेश से सभी सकते में हैं। चुंगी पुनर्भरण की यह राशि अगर वेतन पर खर्च हो जाएगी तो विकास कार्य ठप हो जाएंगेे। अब निगम वर्तमान सरकार को इस बारे में लिख रही है, लेकिन खजाना खाली होने का रोना रोने से यह बजट अब मिलना मुश्किल है। पिछली सरकार ने एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा कि चुंगी पुनर्भरण पेटे राशि का उपयोग केवल कार्मिकों के वेतन भत्तों एवं बकाया एरियर के लिए किया जाए। इस राशि का उपयोग विकास कार्यों अन्य मदों पर नहीं हो।
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हर माह वेतन पर जा रहा 9 करोड़
नगर निगम में औसतन वेतन भुगतान प्रतिमाह 8 से 9 करोड़ किया जाता है। अब राज्य सरकार से अधिकतम प्रतिवर्ष 110 करोड़ व दो वर्षों में 220 करोड़ ही निगम को प्राप्त होंगे, जबकि पूर्व नीति के अनुसार दो साल में 314 करोड़ प्राप्त होते। दो वर्षों में ही निगम को 104.63 करोड़ की राशि कम प्राप्त होगी तो भुगतान के अलावा कोई काम नहीं हो पाएगा।
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सम्पत्तियां बेचने की नौबत
निगम अब अपनी आय के स्रोत बढ़ाने में जुटा है। जिसमें वह अपनी सम्पत्तियों को चिह्नित कर रहा है। बेचने वाली सम्पत्तियों को वह बेचेगा तो किराए देने वाली को किराए पर देगा। इसके अलावा यूडी टैक्स से लेकर अन्य आय स्रोतों को भी टटोला जा रहा है। जिसमें गैराज व फायर से जाने वाले वाहनों के अलावा सामुदायिक भवन आदि को किराए पर देने का मानस बना रहा है।
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ये मिलती रही राशि
वर्ष राशि
वर्ष 2021-22 - 136.20 करोड़
वर्ष 2022-23 - 149.82 करोड़, 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ

वर्ष 2023-24 -164.81 करोड़, 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ

इस वर्ष निगम को 55 करोड़ की राशि कम मिली

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राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली चुंगी पुनर्भरण की राशि में इस बार करीब 55 करोड़ कम मिले हैं। इसकी पूर्ति के लिए निगम अपने आय के स्रोत बढ़ाने में जुटा है।

गोविंद सिंह टांक, महापौर, नगर निगम