
बायपास के दोनों ओर की अतिरिक्त जमीन को करना होगा आरक्षित
उज्जैन. एमपी के उज्जैन में सिंहस्थ 2028 का आयोजन किया जाना है। इस कुंभ में करोड़ों लोग आएंगे जिसके लिए हजारों हेक्टेयर जमीन की दरकार है। सिंहस्थ शिप्रा नदी के किनारे लगना है। सिंहस्थ में आगंतुकों की संख्या अनुमान अनुसार शनि मंदिर से शिप्रा नदी किनारे से 400-500 मीटर क्षेत्र सुरक्षित रखना होगा। मास्टर प्लान 2035 में जीवनखेड़ी, सांवराखेड़ी और दाउदखेड़ी के साथ बायपास के दोनों ओर अतिरिक्त जमीन सिंहस्थ के लिए आरक्षित करना होगी।
6 हजार हैक्टेयर से ज्यादा जमीन की जरूरत
सिंहस्थ 2028 के लिए 4848 हैक्टेयर जमीन की जरूरत बताई जा रही है। महाकाल लोक के बाद श्रद्धालुओं की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है उस मान से सिंहस्थ के लिए करीब 6 हजार हैक्टेयर से ज्यादा जमीन की जरूरत होगी। सिंहस्थ शिप्रा नदी के किनारे लगना है। ऐसे में बड़नगर या उन्हेल की ओर आगे बढ़ेंगे तो साधु-संत जाना पसंद नहीं करेंगे।
वहीं नाहन का महत्व शिप्रा नदी पर होने से लोगों को लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ेगा। फिलहाल रामघाट, मंगलनाथ, कालभैरव क्षेत्र में सघन आबादी होने से जमीन कम बची है। लिहाजा सिंहस्थ बायपास ज्यादा कारगर रहेगा। इस क्षेत्र में ज्यादा जमीन सिंहस्थ के लिए आरक्षित हो।
मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ बायपास की ओर 148.679 हैक्टेयर जमीन को सिंहस्थ के लिए आरक्षित करना काफी नहीं होगा। वर्ष 2028 के सिंहस्थ के मान से करीब 15 करोड़ श्रद्धालुओं को आने के अनुमान को देखते हुए सांवराखेड़ी, जीवनखड़ी व दाऊदखेड़ी क्षेत्र की हजार हैक्टेयर से ज्यादा जमीन आरक्षित करना होगी। वजह यह कि सिंहस्थ में यही क्षेत्र न केवल प्रवेश मार्ग होगा बल्कि यातायात का सर्वाधिक दबाव भी इस क्षेत्र में रहेगा। लिहाजा मास्टर प्लान में संशोधन के साथ इस क्षेत्र में और जमीन अधिग्रहित करने पर शासन स्तर पर विचार करने की जरूरत है।
दो सिंहस्थ को ध्यान में रख जमीन अधिसूचित हो
सिंहस्थ बायपास की 148 हैक्टेयर जमीन आरक्षित रखने के निर्देश हैं, जबकि इस जमीन का उपयोग पिछले सिंहस्थ में किया जा चुका था। सिंहस्थ 2028 में इस क्षेत्र में और जमीन की जरूरत होगी। यहां पर साधु-संतों के कैंप, अस्पताल, पार्किंग, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं जुटानी हैं। सिंहस्थ बायपास से जुड़े जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी की खाली जमीन को आरक्षित किया जा सकता।
इसलिए भी लिया जाना चाहिए जमीन
देवास-बदनावर फोरलेन बनने से सिंहस्थ 2028 में भोपाल, ग्वालियर, दिल्ली तथा इंदौर की तरफ यात्रियों का सर्वाधिक दबाव रहेगा। सिंहस्थ में 60 फीसदी यात्री इस ओर से आने की संभावना है।
सिंहस्थ 2016 में जो सैटेलाइट टाउन बने थे वह अब इंदौर रोड पर शनिमंदिर तो सिंहस्थ बायपास पर आगे की ओर बनेंगे। इस लिहाज से खाली जमीन पार्किंग व अन्य यूटिलीटी के काम आएगी।
जीवनखेडी, सांवराखड़ी व दाउदखेड़ी क्षेत्र शिप्रा नदी से नजदीक है। यहां साधु-संतों के कैंप के साथ लोगों के ठहरने के लिए भी जमीन उपयोग की जा सकेगी।
सिंहस्थ 2028 के लिए सिंहस्थ बायपास मुख्य प्रवेश द्वार होगा। इस मार्ग को देवास-बदनावर फोरलेन से जोड़ेगे तो पूरा यातायात इसी ओर आएगा।
Published on:
09 Jul 2023 12:49 pm
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