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सावधान…ये फिल्मी दुनिया नहीं, असल के सांप है

वल्र्ड स्नेक दिवस विशेष: शहर में बारिश के दिनों में निकलते हैं 300 से 350 सांप, कॉमन करैत, कोबारा और दीवड है सबसे खतरनाक, झाड़ फूंक नहीं सीधे अस्पताल पहुंचे

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उज्जैन. फिल्मों में अक्सर ऐसे फिल्मी सीन देखने को मिलते हैं जिसमें सांप के डंसने पर खून चूस कर निकाला जाता है या फिर डंसे स्थान को काटकर खून बहाया जाता है...लेकिन वास्वविकता में यह फिल्मी स्टाइल सांप डंसने वालों के मौत के मुंह में ले जा सकती है। सांप डंसने की किसी भी घटना में यह फिल्मी स्टाइल नहीं अपनाकर सीधे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। दरअसल सांप डंसने की शिकायतों में लोग खून चूसने या जख्मी स्थान को काटकर खून इस उम्मीद में निकाल देते हैं कि संाप का जहर निकल गया। वास्तवतिकता में ऐसा नहीं होता है उल्टे शरीर से खून बाहर आ जाता है और खून की कमी से तबीयत और बिगड़ जाती है इससे जान जाने की खतरा और बढ़ जाता है। पत्रिका की वल्र्ड स्नेक डे पर विशेष रिपोर्ट..।

400 सांप निकलनेे की तो डंसने की पांच से छह शिकायतें

शहर में सांप निकलने की सालभर में 350 से 400 शिकायतें सामने आती है। इसमें बारिश के दिनों में यह शिकायतों का आंकड़ा बढ़ जाता है। वहीं सांप के डंसने की बात है तो ऐसी शिकायत या प्रकरण पांच से छह आते हैं। इसमें भी कभी-कभार ही किसी की मौत होती है। जागरुकता व समय पर अस्पताल में पहुंचने पर जान बचा ली जाती है। हालांकि उन्हीं मामलों में सांप के डंसे जाने से लोगों की जान जाती है जिन्हें समय पर उपचार नहीं मिलता या फिर वे झांड फूंक वाले के पास पहुंच कर इलाज करवाते हैं।

39 प्रजाति के सांप, हमारे यहां तीन सांपों का आंतक

प्रदेश में करीब 39 प्रजातियों के सांप है। वहीं उज्जैेन जिले की बात करें तो यहां पर 22 प्रजाति है। इसमें से भी तीन प्रजाति के सांप आतंक का कारण बने हुए है। यह सांप कोबरा, दीवड व करेट है। इनमें सबसे ज्यादा जहरीला करेट सांप है। पिछले वर्ष २०१७ में दशहरा मैदान स्थित छात्रावास में दो बच्चों की मौत के पीछे यही करेट सांप था। वैसे उज्जैन में आमतौर पर बिना जहर के डेंढू, घोड़ा पछाड़, भेडिय़ां सांप व दौड़ाक सांप पाए जाते है।

यह सावधानी रखेेंगे तो नहीं आएंगे सांप

- जिन स्थानों पर साफ-सफाई नहीं रहती वहां सांप आते हैं।

- बारिश के दिनों में बिलों में पानी भराने के चलते सांप बाहर निकलते हैं और सूखी व कचरे के ढेर वाली जगह चुनते हैं।

- घर में गमले, र्इंट, लकड़ी या पुराने समान रखे हुए है तो वहां सांप अपना डेरा जमाते हैं।

- जिन घरों में चूहे ज्यादा होते हैं वहां भोजन के चलते सांप की पहुंच रहती है।

- सांप निकलने पर घबराए नहीं और न ही उन्हें मारे। सांप पकडऩे वालों को बुलाकर उनसे पकड़ाएं।
सांप काटे तो यह करें

- सांप काटने वाले स्थान हड्डी के फ्रे क्चर होने जैसे सीधे रखे, उन्हें ज्यादा हिलाए डु़लाएं नहीं।

- सांप की पहचान है तो उसे पहचाने की कोशिश करें, ताकि इलाज बेहतर हो सके।

- सांप काटने के बाद झाड़-फूंक के पास नहीं जाकर सीधे अस्पताल जाए।

- जिला अस्पताल, घोंसला स्वास्थ्य केंद्र और देवास रोड स्थित निर्मला अस्पताल में एंटी स्नेक इंजेक्शन उपलब्ध रहते हैं।

इनका कहना

सांप डंसने पर खून चुसकर या जख्मी स्थान को काटकर खून निकालना एक भ्रम है। इससे जान भी जा सकती है। लोगों में जागरुकता आने के कारण अब डंसने की शिकायत कम है लेकिन सालभर में 400 के करीब सांप निकलने के मामले आते हैं। अगर सांप डंस ले तो सबसे पहले अस्पताल पहुंचे न कि खुद या किसी झाड़ फूंक वाले से इलाज करवाएं।

- विवेक पगारे, वन्य जीव विशेषज्ञ व सांप कैचर