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पहले भी आई थी महामारी, महाकाल संहिता में इसका उल्लेख

Ujjain News: महाकाल पूजन के बाद हुआ था निदान, नगर पूजन के साथ-साथ लोगों में जागरुकता होना जरूरी

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An epidemic had come before too, worshiped Mahakal

Ujjain News: महाकाल पूजन के बाद हुआ था निदान, नगर पूजन के साथ-साथ लोगों में जागरुकता होना जरूरी

उज्जैन। कोरोना महामारी से नगर सुरक्षित रहे, इस हेतु उज्जयिनी में नगर पूजन संपन्न करवाया जाना चाहिए। इस वर्ष यह आयोजन संपन्न नहीं हुआ, इसलिए यह मांग नगर के प्रतिष्ठित विद्वानों, संतों, महात्माओं, पंडितों, पुरोहितों, धर्मगुरुओं द्वारा लगातार की जा रही है। वहीं जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नगर पूजन की परंपरा तो होना ही चाहिए, साथ ही साथ लोगों में जागरुकता का होना भी जरूरी है।

विधायक पारस जैन का कहना

उत्तर विधायक पारस जैन का कहना है कि कोरोना वायरस से प्रभावित वे ही लोग हो रहे हैं, जो सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य नियमों जैसे बार-बार हाथ धोना, मास्क लगाना, सेनिटाइजर का उपयोग करना नहीं कर रहे, इसे अब हमें अपनाना ही होगा। उन्होंने कहा कि कलेक्टर मनोजसिंह से चर्चा करेंगे कि वे नगर पूजा की परंपरा का निर्वाह करें। इसी प्रकार दक्षिण विधायक डॉ. मोहन यादव ने भी नगर पूजा की विधि कलेक्टर द्वारा संपन्न करने की बात कही है।

दो साल से पंचायती अखाड़े ने निभाई परंपरा
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी उज्जयिनी के व्यवस्थापक पं. राजेश व्यास के अनुसार प्रतिवर्ष उज्जैन जिलाधीश द्वारा शारदीय नवरात्र में महाअष्टमी पर नगर पूजन चढ़ाई जाती है। विगत दो वर्षों से अखाड़ा सचिव, मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज द्वारा पूजन विधि संपन्न करवाई जा रही है, किन्तु इस वर्ष कोरोना महामारी के संक्रमणों के भय से शासन द्वारा प्रतिबन्ध लगा दिया। यह परंपरा खंडित हो गई, जबकि अनुमति पत्र में इस बात का विशेष उल्लेख कर ध्यानाकर्षण करने का प्रयास किया गया था, कि परंपराओं का निर्वहन नगर रक्षा हेतु किया जाना चाहिए। महंत द्वारा तय किया गया कि अब आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्र में महाअष्टमी पर नगर पूजन संपन्न करवाया जाएगा।

वयोवृद्ध संत ने कहा...
अखाड़े के एक वयोवृद्ध संत दिगंबर बालमुकुंद पुरी जो धार जिला के नालछा ग्राम में निवासरत हैं, का कहना है कि महाकाल संहिता नामक पुस्तक में इस महामारी का उल्लेख है व पूर्व में भी ऐसा ही वायरस आया था। तब भगवान महाकाल का पूजन कर निदान किया गया था। अभी भी महाकाल महाराज का पूजन कर इस महामारी का विनाश संभव है। संभव हो सके तो इस पर विद्वानों से परामर्श लेकर ज्योतिर्लिंग का विशेष पूजन करवाया जाना चाहिए। इस आपदा से रक्षा हेतु अखाड़े के कई धर्मस्थलों पर पूजन, अनुष्ठान सतत किए जा रहे हैं। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के भिन्न भिन्न ट्रस्टों के माध्यम से राहत कोष में लगभग 2 करोड़ रुपए का योगदान दिया गया। भोजन सामग्री वितरण अनवरत जारी है।