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उज्जैन. नवरात्रि के दौरान शहर के देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी हुई है। शहर में एक नहीं बल्कि दो-दो शक्तिपीठ हैं। पहला हरसिद्धि माता मंदिर तथा दूसरा अवंतिका देवी, जो कि महाकाल मंदिर में स्थापित है। बताया जाता है कि हरसिद्धि में सती की कोहनी गिरी थी, तथा अवंतिका देवी का मंदिर जिस स्थान पर है, वहां सती के होठ गिरे थे। इन देवी को अवंतिका यानी उज्जैन की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
आराधना से मिलता है यश और कीर्ति
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि नवरात्रि के दिनों में इनकी आराधना से साधक को यश और कीर्ति मिलती है तथा शहर का चहुमुंखी विकास भी देवी के आशीर्वाद से होता है। यह मंदिर पहले के समय में ऊंची टेकरी पर हुआ करता था, जहां से हरसिद्धि और अवंतिका देवी दोनों के दर्शन हो जाते थे, लेकिन कालांतर में विकास और निर्माण कार्यों के चलते टेकरी नहीं बची और अब यह महाकाल मंदिर के पालकी द्वार के पास श्रीराम मंदिर के पीछे नजर आता है।
मुंबई की मुंबा देवी के समान है इनका महत्व
पं. व्यास के अनुसार मुंबई की मुंबा देवी के समान ही अवंतिका देवी का भी महत्व है। यह शहर की अधिष्ठात्री देवी हैं। देवी का उल्लेख देवी भागवत में भी मिलता है। कल्याण के शक्ति अंक में भी इस शक्तिपीठ के बारे में जानकारी दी गई है। महाकाल के पुरोहित व मंदिर के पुजारी लोकेंद्र व्यास के अनुसार यह देवी शक्तिपीठ पुराण प्रसिद्ध है।
स्वयं-भू है प्रतिमा
पुजारी व्यास ने बताया यहां देवी के खड़ी हुई मुद्रा में दर्शन होते हैं। प्रतिमा स्वयं-भू है। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में विराजित देवी अवंतिका शहर का दूसरा शक्तिपीठ है। ज्यादातर लोग उज्जैन में एक मात्र हरसिद्धि का शक्तिपीठ होना जानते हैं, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन में दो शक्तिपीठ होना बताए गए हैं। पहला हरसिद्धि और दूसरा अवंतिका देवी।
Published on:
16 Oct 2018 07:30 am
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