
भस्म आरती व संध्या शृंगार
उज्जैन. सावन में भगवान महाकाल का रोज अनूठा शृंगार किया जा रहा है। भस्म आरती और संध्या आरती में भांग व सूखे मेवे से महाकाल को सजाया किया जाता है। इस बार दो मास का श्रावण है और बाबा का शृंगार कराने की श्रद्धा रखने वाले भक्तों की संख्या इतनी है कि बुकिंग फुल हो चुकी है। भक्त निर्धारित राशि 1100 रुपए जमा कर भगवान का शृंगार करवाते हैं।
महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि आम दिनों में भगवान के शृंगार के लिए प्रतिदिन की बुकिंग होती है। श्रावण मास में बाबा को शृंगारित करवाने के लिए भक्त महीनों पहले ही 1100 रुपए की शासकीय रसीद कटाकर बुकिंग करा लेते हैं। इस वर्ष श्रावण में शृंगार के लिए बुकिंग फुल हो गई है।
महाराष्ट्र और गुजरात में अमावस्या से अमावस्या तक श्रावण होता है। हिन्दू पंचांग तिथि के अनुसार इस दौरान भादौ मास प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में भादौ मास के प्रथम पखवाड़े की अधिकांश तारीखें भी लगभग बुक हो चुकी हैं।
अलग अलग स्वरूपों में किया जाता है शृंगार
महाकाल मंदिर के पुजारी और समिति सदस्य पं. राम शर्मा के अनुसार तडक़े भस्मी रमाने वाले भूतभावन महाकाल का शाम को भी भांग शृंगार होता है। निराकार भगवान को विविध स्वरूपों में आकार देकर भक्तों के लिए दिव्य दर्शन को साकार किया जाता है। किसी की जन्म तिथि, विवाह वर्षगांठ, विशेष तिथि, वार तथा त्योहार के अनुसार भगवान का रूप निखारा जाता है। मंदिर के पुजारी बड़ी लगन के साथ भगवान महाकाल का गणेश, श्रीकृष्ण, तिरुपति बालाजी, हनुमानजी, शेषनाग आदि कई रूपों में शृंगार करते हैं।
ऐसे होता है बाबा महाकाल का शृंगार
1100 रुपए की शासकीय रसीद कटानी होती है।
पुजारी निर्धारित किया जाता, जो शृंगार करते हैं।
जिस श्रद्धालु के नाम से शृंगार किया जा रहा है, उनका नाम बोर्ड पर लिखा जाता है।
शृंगार में भांग, सूखे मेवे, वस्त्र, पूजन सामग्री आदि सामग्री शामिल रहती है।
इसके लिए शेष राशि अलग से देना होती है। इसलिए लगभग 5 से 6 हजार रुपए का खर्च आता है।
शृंगार में दो से तीन किलो भांग का उपयोग होता है।
शृंगार कराने वाले श्रद्धालुओं को संध्या पूजन व आरती के समय नंदी हॉल में मौजूद रहने की अनुमति प्रदान की जाती है।
भगवान को नवीन वस्त्र तथा रजत आभूषण धारण कराए जाते हैं।
Published on:
07 Jul 2023 12:24 pm
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