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उज्जैन/शाजापुर. न्यायालय ने बलात्कार के प्रकरण में सोमवार को सुनवाई करते हुए साक्ष्य के दौरान प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं पुलिस को दिए कथनों से मुकरने पर महिला एवं उसके पति को 7-7 वर्ष के कारावास एवं 50-50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले में एससी-एसटी एक्ट के तहत महिला ने बलात्कार की झूठी शिकायत कर एफआइआर दर्ज कराई थी।
महिला ने दर्ज कराई थी रेप की रिपोर्ट
उपसंचालक लोक अभियोजन प्रेमलता सोलंकी और अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे शैलेंद्रकुमार वर्मा ने बताया कि 4 जुलाई 2016 को ग्राम बिरगोद निवासी ललिताबाई ने पति पूंजीलाल के साथ थाना अजाक शाजापुर में विष्णुप्रसाद पिता मानसिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी कि 2 जुलाई 2016 को उसके साथ आरोपी ने बलात्कार किया। साथ ही जान से मारने की धमकी दी।
बाद में कर लिया समझौता
अभियोग पत्र विशेष न्यायालय एट्रोसिटी एक्ट में प्रस्तुत कर बाद में समझौता किया गया। यहां गवाही के दौरान कोर्ट के समक्ष महिला व उसके पति घटना एवं कथन से मुकर गए और झूठा प्रकरण दर्ज कराने की बात कही। इस पर विशेष न्यायाधीश ने स्वयं धारा 193, 196 , 211, 195 भादवि के अंतर्गत संज्ञान लिया।
कथनों से बदल जाने पर पाया दोषी
सोमवार को न्यायाधीश दीपककुमार पांडेय ने ललिताबाई एवं पति पूंजीलाल को कथनों से बदल जाने पर दोषी पाते हुए धारा 195 भादवि में 7-7 वर्ष के कठोर कारावास एवं ५०-५० हजार रुपए के जुर्माने व धारा 211 भादवि में 3-3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5-5 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।
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Updated on:
28 Aug 2018 07:20 pm
Published on:
28 Aug 2018 12:45 pm
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