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यहां सिर्फ 20 रुपए में होती है एंडोस्कोपी, मार्केट में लगते है 2 हजार

चैरिटेबल हॉस्पीटल में 20 रुपए के ओपीडी पर हो जाती है फ्री में हो जाती है एंडोस्कोपी

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उज्जैन. नाक, कान और मले से जुडी खीमारियों के लिए मरीजों को एंड्रेस्कॉपी कराने के लिए बाजार में करीब दो से ढाई हजार रुपए खर्च करना पड़ते हैं कहीं उज्जैन वैरिटेबल अस्पताल में महज 20 रुपए में यह उपचार मिल रहा है। खास बात यह कि एंड्रस्कॉपी की सुविथा! में न केवल डॉक्टर बल्की मरीज भी देख पा रहे है कि उन्हें क्या बीमारी है और उसकी स्थिति क्‍या है। संभवत: प्रदेश में इतनी सस्ते दरों में उज्जैन में ही रोगियों को उपचार मिल रहा है।

नाक, कान और गले से जुडी बीमारियों के रोगियों को अमूमन डॉक्टर लक्षणों के आधार पर जांच करते हैं तो अंदर की स्थिति जबनने के लिए दूरबीन टाइप उपकरण (ऑटोस्कोप) का उपयोग करते हैं। इसमें डॉक्टर ही मरीज के कान और नाक को अंदर से देख पाते हैं कि अंदर क्या स्थिति है। नाक, कान और गले की बीमारी को अंदर से व्यापक तौर से देखने के लिए एडोस्कीपी करनी पहती है । इसमें कैमरे लगाकर उपकरण अंदर डाला जाता है। इससे अंदर की स्थिति सामने रखी स्वतीन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे जाती है। इससे पता चल जाता है कि बीमारी किस कूप में है और इसका क्या इलाज होना है।

बाज़ार में एड्रोस्कॉपी करने को लेकर निजी अस्फ्तालों में दो से डाई हजार रुपए तक ले लेते है या सामान्य तर पर देखने पर है 500 से 1000 रुफ्ए ले लिए जाते हैं। चेरिटेबल अस्पताल में यह सुषिधा मरीजों को महज 20 रुपए की पर्ची काटने पर ही उपलब्ध हो रही है। अस्पताल के डे कल ने बताया कि पिछले दिन शुरू हुई इस सुविधा से बड़ी संख्या में मरीजों का उपचार दिया गया है। मरीज भी ससुष्ट होते है कि उन्हें बीमारी किस तरह की है।

इन उपचार में मदद
मरीजों के कान के पर्दे फटे होने की स्थिति में देखा जा सकता है कान कितना प्रभावित है। कान में पीप आने या कोई अन्य संक्रमण को आसानी से देखा जा सकता है। नाक में बड़ी हुई हड्डी को आसानी से देख जा सकता है। ब्लैक फंगस के मरीजों को नाक में जमने बाली पपड़ी या साइनस तक की स्थिति देखी जा सकती है। गले में गठान टॉसिल की स्थिति देखी जा सकती है।

ईएनटी विशेषज्ञ हा. सुधाकर वैद्य ने बताया कि अस्पताल में नाक कान और गले रोग के मरीजों के उपचार के लिए एंडोस्कॉपी मशीन लगाई गई है ऑपीडी से कटने वाली 20 रुपर की रसीद से इस मशीन से मरौजी को देखा जा रहा है। एंड्स्कॉपी से मरीज भी देख पा रहे है कि उनकी बीमारी कैसी और तरह ठीक किया जा सकेगा।