आदेश जारी होते ही विद्युत कंपनी ने शहर में विद्युत प्रदाय का कामकाज अपने हाथों में ले लिया है। साथ ही तहसीलदार के जरिये कंपनी अधिकारियों ने एस्सेल के स्थानीय हेड ऑफिस पर सुबह 9 बजे उक्त आदेश की कॉपी चस्पा कर दी। इधर एस्सेल कंपनी ने आदेश के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट की स्पेशल बैंच में याचिका प्रस्तुत की है, जिस पर देर शाम कोर्ट ने 5 अक्टूबर को कंपनी से की गई कार्रवाई का विवरण मांगकर सुनवाई तय की है। 1 अगस्त 2014 को राज्य सरकार ने उज्जैन की बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी तौर पर एस्सेल कंपनी को 15 साल के लिए सौंपी थी, लेकिन 13 माह के कंपनी के कामकाज को अच्छा नहीं मानते हुए अनुबंध निरस्त कर ठेका समाप्त कर दिया गया है। आए दिन बिजली गुल, शिकायतों का समय पर निराकरण नहीं और रीडिंग में गड़बड़ी सहित कई दिक्कतें थी, जिसके चलते शहर के बिजली उपभोक्ता परेशान थे। सीएम को उनके ही नेता कई बार शिकायत कर चुके थे कि एस्सेल का ठेका हटाया जाए।