जवाब: मनुष्य के सकल सरोकार नीर से जुड़े हैंं। संकल्प, आचमन, स्नान और तर्पण सब कुछ इसी नीर से है। नीर से ही नरायण हैं। इसलिए मनुष्य नीर के सबसे निकट है। आद्य पुरुष भी नीर में ही जन्मा है। तो जब-जब हम नीर के निकट आते हैं, हमारी संवेदनाओं का परिष्कार शुरू हो जाता है। मनु़ष्यों की सकल संवेदनाए नीर से जुड़ी हैं। ऐसे में जब पर्व व परंपराओं के पोषण-रक्षण के दिवस आते हैं। तो हम नीर-नदी के के पास पहुंच जाती हैं।