22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महाकाल की इस आरती में शामिल नहीं हो सके गुजरात के श्रद्धालु, ये है वजह…

महाकाल मंदिर में फिर से भस्म आरती कराने वाली गैंग सक्रिय होती नजर आ रही है। पिछले दिनों कलेक्टर ने सख्ती से इस पर निगाह रखी, और सौदेबाजों की पड़ताल की थी।

2 min read
Google source verification
patrika

Mahakal Temple,ujjain mahakal,ujjain mahakal temple,Ujjain Mahakal Mandir,

उज्जैन. महाकाल मंदिर में फिर से भस्म आरती कराने वाली गैंग सक्रिय होती नजर आ रही है। पिछले दिनों कलेक्टर ने सख्ती से इस पर निगाह रखी, और सौदेबाजों की पड़ताल की थी। मामला कुछ दिन शांत रहा, लेकिन बीते कुछ दिनों से यह गैंग फिर सक्रिय हो गई। मामला गुजरात से जुड़े श्रद्धालुओं से रुपए लेकर भस्म आरती अनुमति बनवाने का है।

चार श्रद्धालुओं से लिए रुपए
गुजरात के चार श्रद्धालुओं ने रुपए देकर भस्म आरती अनुमति प्राप्त की थी। पड़ताल करने पर मामला सामने आया तो पुलिस ने श्रद्धालुओं को भस्म आरती में शामिल नहीं होने दिया और वापस लौटा दिया।

पूछताछ की तो खुला राज
बुधवार तड़के सूरत गुजरात के चार श्रद्धालु भस्म आरती में शामिल होने के लिए मंदिर पहुंचे थे। गेट पर मौजूद पुलिस जवानों ने उनसे पूछताछ की तो श्रद्धालुओं ने बताया कि अनुमति के ३१०० रुपए दिए हैं। इस पर चारों को भस्म आरती में शामिल होने से रोक दिया गया। श्रद्धालु नाराज हुए तो पुलिस ने उन्हें शिकायत की सलाह दी। इस पर श्रद्धालुओं ने महाकाल पुलिस चौकी पर विजय राठौर को आवेदन दिया और चले गए। चारों श्रद्धालुओं के नाम सामने नहीं आए हैं।

पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी
इस संबंध में भस्म आरती प्रभारी मूलचंद जूनवाल ने बताया कि बुधवार को वे भस्मआरती में नहीं थे। मामले में कुछ जानकारी मिली है, उसकी पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी। भस्मआरती की अनुमति कराने में संदीप गुरु का नाम सामने आया है। संपर्क करने पर संदीप गुरु ने बताया कि उसने भस्म आरती के नहीं, अभिषेक-पूजन की राशि बताई थी। भस्म आरती की अनुमति मेरे पास थी। सुबह समय पर नींद नहीं खुलने के कारण अनुमति नहीं पहुंचा पाया और चारों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। गलत-फहमी में हुई शिकायत भी श्रद्धालुओं ने वापस ले ली है।

Read More News : गणेशोत्सव : लंका से लौटते समय राम-लक्ष्मण और सीता ने की थी चिंतामण गणेश की स्थापना