Ghadi Wale Baba: बरगद का पेड़, जिस पर टंगी हजारों घड़ियां, यहां आने वालों का बदल जाता है वक्त
Ghadi Wale Baba: श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद यहां धन, दौलत या सोना चांदी नहीं, घडिय़ां चढ़ाते हैं। भक्त की मनोकामना पूरी होने के बाद यहां दीवार घड़ी चढ़ाते हैं। जब पेड़ की शाखाएं भरने लगी तो मंदिर के पीछे खेत में घड़ी रखने लग गए।
Ghadi Wale Baba: उज्जैन से 40 किलोमीटर दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच गांव गुराडिय़ासांगा में बरगद का ऐसा पेड़ है, जिस पर हजारों घडिय़ां टंगी हैं। सडक़ से सटा एक मंदिर जो की घड़ी वाले बाबा (सगस महाराज) नाम से मशहूर हैं। मान्यता है कि यहां आने वालों भक्तों का वक्त बदल जाता है।
श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद यहां धन, दौलत या सोना चांदी नहीं, घडिय़ां चढ़ाते हैं। भक्त की मनोकामना पूरी होने के बाद यहां दीवार घड़ी चढ़ाते हैं। जब पेड़ की शाखाएं भरने लगी तो मंदिर के पीछे खेत में घड़ी रखने लग गए। आलम यह है कि हजारों घडिय़ां पेड़ पर टंगी और हजारों घडिय़ां मंदिर के पीछे खेत में रखी है। एक भी घड़ी इधर से उधर नहीं होती है। यहां पर चोर भी चोरी करने से घबराते हैं।
श्रद्धालु पवन आंजना ने बताया कि 2021 के पहले यहां केवल मंदिर था जो बहुत वर्षों से हैं लेकिन पिछले तीन वर्षों में यहां हजारों घडिय़ां मंदिर में चढ़ाई जा रही हैं। इसके पीछे की मान्यता पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है।
रात-दिन आती है टिक-टिक की आवाज
यह भी मजेदार है कि 24 घंटे यहां टिक-टिक की आवाज आती रहती है। जबकि रात के सम जब सब सो जाते हैं तो हजारों घड़ियों में से एक साथ टिक-टिक की आवाज सुनाई देती है। श्रद्धालु कहते हैं कि एक दशक से अधिक समय हो गया है, यहां मंदिर में घड़ियां चढ़ाई जाती है। लोगों का भरोसा है कि यहां घड़ियां चढ़ाने से उनकी मनोकामना पूरी होजाती है।
घड़ी वाले बाबा के नाम से यह जगह मशहूर है। यहां सगस भैरव मंदिर न सिर्फ इस क्षेत्र के हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि देश-विदेशों से भी श्रद्धालु आते है। यहां छोटी से लेकर बेशकीमती घड़ियां चढ़ाई जाती है।
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