
देश-दुनियां में महाकाल मंदिर की ब्रांडिंग के लिए पिछले सालों में शुरू किए नए जतन का दिखने लगा असर, पौराणिक नगरी, धर्म और संस्कृति के सहारे बना रहे पहचान
उज्जैन। जितेंद्रसिंह चौहान . बाबा महाकाल की नगरी उज्जैयिनी अब धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभरने के साथ एक बड़े धार्मिक शहर के रूप में पहचान बनी है । इसके पीछे शहर की पौराणिकता, धर्म और संस्कृति होना है। इन्हीं की के सहारे बाबा महाकाल की देश-विदेश में नई छवि स्थापित की जा रही है। क्षिप्रा तट पर भव्य आरती हो, श्रावण मास की सवारी या फिर नागपंचमी व महाशिवरात्रि जैसे भव्य आयोजन महाकाल की नगरी को नए आयाम दे रहे है। इसके चलते न केवल शहर का विकास हो रहा है, बल्की अर्थव्यवस्थी सुद्ढ़ हो रही है। हाल ही में ११.७१ लाख दीपोत्सव का वल्र्ड रेकॉर्ड दर्ज होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर की ग्लोबल स्तर पर नई पहचान कायम हुई है।
धार्मिक नगरी उज्जैयिनी कभी एक आम कस्बा हुआ करता था। समीप के ही इंदौर और देवास जैसे शहरों से पिछड़ा नजर आता था। लेकिन बीते दो दशक में उज्जैन की नई कायापलट हुई है । इसके लिए महाकालेश्वर मंदिर का देश-दुनिया में प्रचार होना है। इसमें सिंहस्थ हो या फिर श्रावण मास में निकलने वाली सवारी, नागपंचमी व महाशिवरात्रि जैसे पर्वोँ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए पिछले सालों में शहर को धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में स्थापित करने को लेकर प्रयास शुरू हुुए है। जिसका असर दिखाई देना लगा है। महाशिवरात्रि या नागपंचमी जैसे पर्वों पर ५० से एक लाख दर्शनार्थी पहुंचते थे अब यह संख्या दो से चार लाख तक पहुंचने लगी है। इसमें प्रदेश ही नहीं देशभर के लोग शहर आने लगे हैं। महाकाल मंदिर में बढ़ती सुविधाएं भी देशभर से श्रृद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। अगले वर्षो में महाकाल मंदिर विस्तारिकरण कार्य पूर्ण होने पर उज्जैन की नई आभा देश ही नहीं विदेशों तक श्रृद्धालु व पर्यटकों को अपनी और खिंचने लगेगी।
ये आयोजन दिला रहे शहर की पहचान
सिंहस्थ- १२ वर्ष में एक बार होने वाला सिंहस्थ पर्व से देश ही नहीं विदेशों में भी उज्जैन की पहचान बन रही है। सिंहस्थ २०१६ में देश ही नहीं विदेशों में उज्जैन की ब्राडिंग की गई थी। नतीजतन ४ करोड़ से अधिक लोग एक माह के भीतर उज्जैन पहुंचे थे।
श्रावण मास सवारी- श्रावण मास में बाबा महाकाल की सवारी और शाही सवारी का राजसी वैभव के साथ निकाले जाने से देशभर महाकालेश्वर मंदिर की पहचान बन रही है। श्रावण मास में लाखों श्रृद्धालु शहर पहुंच रहे हैं।
क्षिप्रा आरती- स्मार्ट सिटी के तहत मोक्षदायिनी क्षिप्रा की आरती भी श्रृद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रही है। हालांकि यह नियमित नहीं है लेकिन इसके भव्य आयोजन से शहरवासी जुडऩे लगे थे, जिसके सकारात्मक असर दिखने लगा था।
शिवरात्रि व नागपंचमी- वर्ष में एक बार नागचेंद्रश्वर मंदिर के पट खुलने और महाशिवरात्रि पर्व जैसे आयोजन अब शहर के बड़े आयोजनों में शुमार हो गए है । इन त्योहारों पर एक ही दिन में दो से तीन लाख तक श्रृद्धालु शामिल हो रहे हैं।
दीपोत्सव- महाशिवरात्रि पर क्षिप्रा नदी किनारे ११.७१ लाख दीपों का विश्व कीर्तिमान में पूरे देश में लोगों को आकर्षित किया है। अब यह आयोजन हर वर्ष होगा। ऐसे में उज्जैन की नई छवि देशभर में बनेगी।
उज्जैन का जन्मोत्सव- इस वर्ष से उज्जैन का जन्मदिन भी नव वर्ष प्रतिपदा के दिन मनाया जाएगा। वैसे इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं लेकिन जन्मदिन के चलते भव्य आयोजन होंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के चलते देशभर में सांस्कृतिक नगरी के रूप में पहचान मिलेगी ।
मंदिर विस्तारिकरण... बदल जाएगी तस्वीर
महाकाल मंदिर आने वाले वर्षों में देशभर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा। ७०० करोड़ रुपए से महाकाल मंदिर विस्तारिकरण योजना पूर्ण होने के बाद मंदिर क्षेत्र की तस्वीर ही बदल जाएगी। महाकाल मंदिर का क्षेत्र २० गुना बढ़ा हो जाएगा। महाकाल कॉरिडोर, रूद्रसागर, बड़ी-बड़ी मूर्तियां, लाइट एंड साउंड शो, महाराजवाडा हेरिटेज भवन सहित अन्य निर्माण श्रृद्धालुओं को लूभाएंगे। वहीं महाकाल मंदिर के चारो और चौड़ी सड़कें, ब्रिज भी सुविधाएं बढ़ाएंगे। उम्मीद है कि अगले दो वर्ष में महाकाल मंदिर के निर्माण कार्य पूर्ण होने पर यह देश के बड़े तीर्थस्थलों में से एक में शामिल हो जाएगा।
ब्रांडिंग का असर...फिल्म शुटिंग तो बढऩे लगी श्रृद्धालुओं की संख्या
महाकाल मंदिर की ख्याति जैसे-जैसे देशभर में फैल रही है, उसका असर भी दिखाई देने लगा है। बड़े राजनीतिक आयोजन, बैठकों से लेकर अब फिल्मों की शुटिंग तक होने लगी है। बाबा महाकाल के दर्शनों के लिए लोगों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हाल ही में दिपोत्सव के आयोजन ने शहर को नई पहचान दी है। अब यह हर वर्ष होने से शहर की ब्रांडिंग और बढ़ेगी जिसका फायदा शहर को मिलेगा। जैसे-जैसे मंदिर में श्रृद्धालु बढ़ रहे है, वैसे मंदिर और शहर का विकास भी हो रहा है। नई योजनाएं, नए निर्माण किए जा रहे हैं, जो श्रृद्धालुओं के साथ शहरवासियों को भी लाभ पहुंचा रहे हैं।
यूं हो रहा उज्जैन का फायदा
अर्थव्यवस्था- धार्मिक पर्यटन में इजाफा होने का सबसे बड़ा फायदा अर्थव्यवस्था को हो रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं इससे लोगों की आजीविका बेहतर हो रही है।
विकास कार्य- शहर में जैसे-जैसे श्रृद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है, उस मान से विकास कार्य भी हो रहे हैं। सड़कों का चौड़ीकरण हो, फोरलेन, ब्रिज या अन्य निर्माण कार्य में तेजी आई है।
विशेष प्रोत्साहन- धार्मिक नगरी के कारण ही उज्जैन को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया है। इसके चलते विशेष बजट शहर को राज्य व केंद्र सरकार से मिल रहा है । इससे विकास कार्यों में तेजी आ रही है और नए निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
जिम्मेेदारों की नजर- राजनेता या हो या प्रशासनिक अफसर विकसित होते शहर पर इनकी नजर बनी रहती है। विकास कार्य से जुड़े मुद्दे पर तुरंत फैसले के साथ धनराशि का आवंटन होता है । इसके लिए प्राथमिकता रखी जाती है।
इनका कहना
वर्तमान परिदृश्य भौतिक व आधुनिकता का समावेश नजर आ रहा है। आने वाले समय में हमारी प्राचीन अवंतिका नगरी एक भव्य स्वरूप में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती नजर आएगी। यहां जो कॉरिडोर बन रहा है, उसमें प्राचीन अवंतिका की झलक दिखेगी। इससे देश-विदेश तक महाकाल का वैभव फैलेगा। लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटक इस नगरी में आएंगे और उन्हें बड़े महानगरों जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
- प्रदीप गुरु, पुजारी, महाकालेश्वर मंदिर।
महाकालेश्वर मंदिर के विकास कार्य अगले दो वर्षों में लगभग पूर्ण हो जाएंगे। इससे महाकाल क्षेत्र एक नए पौराणिक, सांस्कृतिक स्वरूप में दिखाई देगा। यह देश ही नहीं विदेशों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहेगा। धार्मिक पर्यटन का बढ़ावा मिलेगा और शहर की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। उज्जैन की पहचान आने वाले समय में दूनियां भर में रहेगी।
- आशीषसिंह, कलेक्टर, उज्जैन
Published on:
04 Mar 2022 09:38 pm
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