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Navratri 2021: यहां रोज ग्यारह सौ ग्यारह दीपों से जगमगाता है माता का दरबार

locationउज्जैनPublished: Oct 08, 2021 04:42:45 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

दीपक लगाने के लिए श्रद्धालुओं को महीनों इंतजार करना पड़ता है, नवरात्र में तो यहां दीपक लगाने वालों की बुकिंग दो-चार माह पहले ही हो जाती है।

Navratri 2021:  यहां रोज ग्यारह सौ ग्यारह दीपों से जगमगाता है माता का दरबार

Navratri 2021: यहां रोज ग्यारह सौ ग्यारह दीपों से जगमगाता है माता का दरबार

उज्जैन. मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में माता का ऐसा मंदिर है, जहां 1111 दीपक झिलमिलाते हुए मंदिर को रोशन करते नजर आते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां दीपक लगाने के लिए श्रद्धालुओं को महीनों इंतजार करना पड़ता है, नवरात्र में तो यहां दीपक लगाने वालों की बुकिंग दो-चार माह पहले ही हो जाती है।

शक्तिपीठ है मां हरसिद्धि का दरबार


माता हरसिद्धी के मंदिर में दो स्तंभ बने हुए हैं। जिनमें एक साथ 1111 दीपक लगाए जाते हैं, बताया जाता है कि इतने दीपक लगाने के लिए करीब 100 लीटर तेल लग जाता है। इन स्तंभ में एक में शिव जिसमें करीब 511 दीपमालाएं हैं, वहीं दूसरा स्तंभ पार्वती है, जिसमें करीब 600 दीपमालाएं हैं, इस प्रकार माता के दरबार में साल में 365 दिन में से करीब 300 दिन दीपमालाएं प्रज्जवलित होती हैं।
Navratri 2021: यहां रोज ग्यारह सौ ग्यारह दीपों से जगमगाता है माता का दरबार
चार माह पहले करनी पड़ती है बुकिंग


माता के दरबार में श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने सुख समृद्धि की कामना को लेकर दीपमालाएं प्रज्जवलित करवाते हैं। माता की आरती के समय शाम को सभी दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं। चूंकि माता के भक्त देशभर में फैले हैं, ऐसे में माता के दरबार में दीपमालाएं प्रज्जवलित करवाने के लिए पहले से बुकिंग करवानी पड़ती है, यहां कई श्रद्धालुओं का नंबर चार से छह माह बाद आता है। नवरात्रि के लिए भी बुकिंग करीब चार-पांच माह पहले ही हो जाती है।
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41 वां शक्तिपीठ है मां हरसिद्धि का दरबार


श्रिप्रा तट पर 41 वां शक्तिपीठ के रूप में मां हरसिद्धि का दरबार है। माता हरसिद्धि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी मां हैं। वे रोज माता के दर्शन करने आते थे। माता मंदिर की छत पर श्रीयंत्र है, वहीं पीछे की ओर मां अन्नपूर्णा विराजमान है। बताया जाता है कि माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन करवाया था। जिसमें सभीे देवी-देवताओं को बुलाया गया था। लेकिन इस यज्ञ में उनके दामाद भगवान शिव को नहीं बुलाया गया। इसके बाद यह बात जब सती माता को पता चली तो उन्हें शिव का ये अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया। ये सब देख भगवान शिव माता सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे, इसके बाद भगवान शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के ५१ टुकड़े कर दिए, इस प्रकार जहां जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ है, बताया जाता है कि यहां सती माता की कोहनी गिरी थी, इस कारण इस मंदिर का नाम हरसिद्धि पड़ा, लगाने लगे।
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देशभर से आते हैं माता के श्रद्धालु


माता के दरबार में हाजरी लगाने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं, खासबात तो यह है कि माता के भक्त मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात सहित विभिन्न प्रदेशों में हैं, जो कई बार माता के दर्शन के साथ ही विशेष रूप से दीपमालाओं के दर्शन के लिए आते हैं। क्योंकि जब एक साथ 1111 दीपक जलते हैं, तो यह नजारा बड़ा ही आनंदित करते हुए मन को शांति प्रदान करता है।
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