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MP Election 2018 : आरक्षित सीटों पर भाजपा में अलग तरह के समीकरण बन गए

पार्टी में आलोट का टिकट बदलने पर भी विचार, इधर महिदपुर विधायक का टिकट कटना तय

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उज्जैन। तीन जिलों की तीन आरक्षित सीटों पर भाजपा में अलग तरह के समीकरण बन गए हैं। ये सभी सीटें भाजपा के खाते में है और पार्टी इन पर फिर जीत दर्ज करना चाहती है। इसी रणनीति में दो जगह के टिकट उलझे हुए हैं। एनवक्त पर भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू की वजह ये पेंच फंसे हैं। वे अपने बेटे अजीत बौरासी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। उनकी पहली पसंद सांवेर है, लेकिन यहां सुमित्रा महाजन समर्थक राजेश सोनकर का टिकट काटना पार्टी के लिए मुश्किल है। लिहाजा फिर बौरासी के लिए घट्टिया का चयन है। लेकिन ये क्षेत्र बलाई बाहुल्य है, एेसे में यहां से गैर बलाई व हाल ही में भाजपा ज्वाइन करने वाले प्रत्याशी को जिताना पार्टी के लिए कड़ी चुनौती है।
आरक्षित सीटों पर उलझे समीकरणों के बीच पार्टी स्तर पर यह भी विचार चल रहा है कि केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के बेटे जितेंद्र गेहलोत का टिकट आलोट से बदलकर घट्टिया कर वहां बौरासी को उतरा जाए। इस समीकरण से जातिगत बाहुल्यता बनी रहेगी। क्योंकि कांग्रेस ने भी रामलाल मालवीय को मैदान में उतारा है। कुल मिलाकर सांवेर, घट्टिया व आलोट सीट पर एक ही बार में निर्णय होगा। पार्टी अब इन सीटों पर प्रत्याशी चयन ओर लंबा नहीं खींचेगी। इधर महिदपुर विधायक बहादुरसिंह चौहान का टिकट कटना लगभग तय हो गया है। यहां जल्द नए नाम की घोषणा होगी।

जातियों को साधे रखना चुनौती
१५ साल में सत्ता में काबिज भाजपा के लिए आरक्षित वर्ग की जातियों को साधे रखना चुनौती है। जिले में बलाई व रविदास समाज का बड़ा वोट बैंक है। इनके सहयोग से ही पार्टी ने आरक्षित व अन्य सीटों पर पकड़ बनाई है। यदि घट्टिया से बौरासी को टिकट दिया तो ये दोनों समाज भाजपा से नाराज हो सकते हैं। क्योंकि तराना सीट पर भी भाजपा ने खटीक समाज को प्रतिनिधित्व दिया है। संघ भी जातिगत संतुलन बनाने में सावधानी रखने की सलाह पार्टी को दे चुका है।