
इसरो चेयरमैन बोले-पांच हजार से ज्यादा एक्सो प्लेनेट पर जीवन और एलियंस संभव
उज्जैन. युवा वैज्ञानिकों से बुधवार को उज्जैन में रूबरू होते हुए इसरो के चेयरमैन डॉ. श्रीधर सोमनाथ बोले, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में निरंतर विकास हो रहा है। इसी का नतीजा है कि मनुष्यों ने 5000 एक्सो प्लेनेट खोज लिए हैं। इन प्लेनेट पर पृथ्वी के समान जीवन और एलियन होने की संभावना है। हमारा विज्ञान लगातार विकास कर रहा है, इसी कारण हम अपने सोलर सिस्टम के बाहर के हजारों एक्सो प्लेनेट को खोजने में सफल रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के चेयरमैन डॉ. श्रीधर सोमनाथ ने बुधवार को उज्जैन के पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर भारत के रॉकेटमैन कहे जाने वाले सोमनाथ कालीदास एकेडमी में माधव साइंस कॉलेज, मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित युवा वैज्ञानिक संवाद में युवा वैज्ञानिकों से भी रूबरू हुए। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान और तकनीकी विकास की जानकारी देने के साथ उनकी जिज्ञासाएं शांत की।
एलियंस के अस्तित्व पर स्थिति स्पष्ट होगी
डॉ. सोमनाथ ने युवा वैज्ञानिकों के समक्ष सवाल दागा, क्या आप इस समय अपने बच्चों और नाती-पोतियों की एलियन से सुरक्षा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यह विज्ञान से ही संभव है। खासतौर पर स्पेस साइंस में बहुत संभावनाएं हैं। स्पेट टेक्नोलॉजी क्षेत्र में 5 वर्षों के दौरान आपको बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। संभावनाओं से भरे अनंत आकाश में नए ग्रहों, उपग्रहों की खोज हो सकती है। एलियंस के अस्तित्व पर स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
मैं आइआइटी पासआउट नहीं
सोमनाथ ने वर्तमान दौर की नीट, जेईई की दौड़ पर कहा कि मैंने आइआइटी से बीटेक नहीं किया, लेकिन साइंस में अपने प्रदेश में टॉप किया। इसी के बल पर मुझे इसरो में अवसर मिला। मेरी प्रारंभिक शिक्षा केरल के गांव में हुई। शिक्षक बनना चाहता था, लेकिन 12वीं में अच्छे अंक मिलने पर दोस्तों ने कहा-तुम इंजीनियरिंग करो। इंजीनियरिंग के दौरान स्पेस साइंस में रुचि जागी और आज इसरो में हूं।
प्रदेश में इसी साल से बीएससी स्पेस साइंस का कोर्स
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने इस मौके पर घोषणा की कि इस शिक्षा सत्र से ही प्रदेश के कॉलेजों में बीएससी स्पेस साइंस का कोर्स शुरू होगा। वह बोले, स्पेस से पूरी तरह वाकिफ नहीं होने से बच्चे अमूमन प्रचलित कोर्स की ओर दौड़ लगाते हैं, जबकि स्पेस साइंस में बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा।
क्या होता है एक्सो सोलर प्लेनेट
इन्हें एक्सोसोलर या एक्स्ट्रा सोलर प्लेनेट कहा है। यह हमारे सोलर सिस्टम से बाहर के ग्रह हैं। नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने 5000 एक्ल्प्लेनेट की खोज की है, जिनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है। वर्तमान में 3974 प्लेनेटरी सिस्टम में 5382 एक्सोप्लेनेट होने की नासा ने बुधवार को ही पुष्टि की है।
Published on:
25 May 2023 01:53 am
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