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ये दिल और उनकी निगाहों के साये मुझे घेर लेते हैं…

किशोर दा के गीतों से संगीत प्रेमियों का चेहरा उल्लास व उमंग से भरा देखा गया।

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नागदा. ये दिल और उनकी निगाहों के साये मुझे घेर लेते हैं बाहों के साये......परदेशियां ये सच है पिया मैने तुझकों को ही दिल दे दिया...जैसे गीतों से गायिकी की दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाली रीना दीक्षित ने एक शाम किशोर दा के नाम आयोजित संगीत निशा में प्रस्तुती से समा बांध दिया। किशोर दा के गीतों से संगीत प्रेमियों का चेहरा उल्लास व उमंग से भरा देखा गया।
सखी म्यूजिकल ग्रुप की अगुवाई में रविवार की रात गायकी दुनिया के बेताज बादशाह स्व. किशोर कुमार दा के जन्मदिवस के अवसर पर एक शाम किशोर दा के नाम संगीत निशा प्रोगाम का आयोजन स्थानीय कम्यूनिटी हॉल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत गणेश वंदना एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण की गई। जिसमें स्थानीय कलाकारों ने प्रस्तुती देकर समां बांधा। महेश खत्री क्या मौसम है चल कहीं दूर निकल गीत सुनाकर तो रागिनी पांडे पल पल दिल के पास तूम रहते हो...गीतों की प्रस्तुती दी। इनके अलावा डॉ. मधुसुदन भट्ट, संजीव शर्मा, आर गेहलोत, मांगीलाल, डॉ. विनोद लहरी, चंदन ने भी गीतों की प्रस्तुती देकर संगीत प्रेमियों के मन पर अमिट छाप छोड़ी। कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय, सुरेंद्र मीणा, डीके शर्मा, राजेश शर्मा, सुभाष दुबे, सरिता दुबे, रिंकु शर्मा, सीजी आनंद मौजूद थे। संचालन मनोज दीक्षित ने किया।

आचार्य सौभाग्यमल का 34वां पुण्य स्मरण दिवस मनाया
खाचरौद ञ्च पत्रिका. मालवकेसरी आचार्य सौभाग्यमल वाणी के जादूगर थे, उन्होने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए सार्थक प्रयास करने के साथ ही महिलाओं तथा वृद्धजनों को संबल प्रदान करने हेतु अनेक संस्थाओं की स्थापना करवाई।
उक्त विचार धर्मेन्द्रमुनी ने आचार्य सौभाग्यमल के 34वें पूण्य स्मरण दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि अपनी विशिष्ट शैली के कारण पूज्य गुरुदेव में पूरे भारत में अपना प्रभाव छोड़ा, इसी कारण बगैर पद लिये उन्होने आचार्य जैसा सम्मान प्राप्त किया। महावीर भवन में आयोजित इस समारोह में दिलीपमुनि ने गुरुदेव के गुणों का वर्णन करते हुए उन्हें भाद्रिक प्रकृति का संत बताया। खाचरौद गौरव अभयमुनि ने बताया कि खाचरौद में दीक्षित होकर गुरुदेव ने विभिन्न समुदाय में स्थानकवासी जैन समाज को एकता के सूत्र में बांधने हेतु अथक प्रयास किए। संघ अध्यक्ष संतोष बरखेड़ावाला, पूर्वाध्यक्ष चंद्रप्रकाश चौरडिय़ा, पूर्व सचिव प्रदीप श्रीमाल, विमल खेमसरा, दिव्यांशी बुपक्या ने अपने उद्बोधन में गुरुवर की महानता पर प्रकाश डाला। आशा कटारिया, पूजा बरखेड़ावाला, निशा भटेवरा ने स्तवन के माध्यम से गुरु के गुणगान किये। तीन दिवसीय समारोह में बड़ी संख्या में एकासना एवं तेले तप की आराधना तथा नौ दिवसीय जाप तथा चौबीसी के आयोजन हुए।