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जानिए… कैसे बना उज्जैन में 21 लाख दीपों का वल्र्ड रेकॉर्ड

शिव ज्योति अर्पणम् में दीयों का वल्र्ड रेकॉर्ड बनवाने वाली गुजरात की कंपनी ने साझा की तैयारी, ऑडिट, विटनेस और ड्रोन से काउंटिग की फिर तय हुए 21 में से 18.82 लाख दीप प्रज्जवलित,

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Know... how the world record of 21 lakh lamps was made in Ujjain

दीपक का वल्र्ड रेकॉर्ड बनाने के तीन तरह की प्रक्रिया है। पहले सूखे दीपक की गिनती। इसके बाद दीपक जलने पर यहां तैनात कर्मचारियों की विटनेस रिपोर्ट और ड्रोन से वीडियोग्राफी से गिनती।

उज्जैन। महाशिवरात्रि पर आयोजित शिव ज्योति अर्पणम् कार्यक्रम में १८ लाख ८२ हजार २२९ दीयों का वल्र्ड रेकॉर्ड बनाकर शहर ने नया कीर्तिमान रचा है। शिप्रा तट पर लगे २१ लाख दीपों में से १८.८२ लाख दीपों के जलने का विश्लेषण गुजरात (अहमदाबाद) की केमिस्ट कनेक्ट कंपनी ने किया। कंपनी इसके लिए चार तरह की योजना पर काम किया जिसमें दीपक लगाना, दीपों को ऑडिट फिर जले हुए दीपों की गवाही और वीडियोग्राफी से मिले आंकड़े का स्पेशल सॉफ्टवेयर से मिलान करना। कंपनी के सटीक विश्लेषण के बाद ग्रिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉर्ड ने मान्यता दी और एक नया रेकॉर्ड बन गया।

केमिस्ट कनेक्ट कंपनी के डायरेक्टर निश्चल बारोट ने दीपों की तैयारियों को लेकर पत्रिका से की विशेष चर्चा।
पत्रिका- दीपों का वल्र्ड रेकॉर्ड बनाने के लिए कब से तैयारी की और कितना समय लगा।
जवाब- हम दिसंबर महीने से ही काम कर रहे थे। वास्तविक काम १३ फरवरी से शुरू हुआ है। इसमें महत्वपूर्ण काम होता है वालेंटियर्स को दीपक जमाने और तय समय पर प्रज्जवलित करने की ट्रेनिंग देना।
पत्रिका- वल्र्ड रेकॉर्ड बनाने में कंपनी किस तरह से काम करती है।
जवाब- हम बेसिक तैयारी करवाते है, जैसे एक ब्लॉक में २२५ दीपक लगाना, दीपक के लिए पर्याप्त तेल, बाती, कपूर और माचिस की व्यवस्था करवाना। चार दीपक की बाति के मुंह एक तरफ करना। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समन्वय।
पत्रिका- जिस दिन रेकॉर्ड बनना था उस दिन कंपनी की क्या भूमिका रही।
जवाब- घाट पर लगे दीयों की गिनती फिजिकल रूप से पहले ही कर ली थी। १८ फरवरी की दोपहर से वालेंटियर्स से तय मात्रा में तेल डालने, बाती लगाने जैसा महत्वपूर्ण काम किया। वैसे इस काम में एक ब्लॉक में १५ से २० मिनट लगते हैं, यहां ४० से ४५ मिनट में काम करवाया।
पत्रिका- २१ लाख में १८.८२ लाख का ही रेकॉर्ड क्यों बना, क्या स्टै्रटजी अपनाई।
जवाब- दीपक का वल्र्ड रेकॉर्ड बनाने के तीन तरह की प्रक्रिया है। पहले सूखे दीपक की गिनती। इसके बाद दीपक जलने पर यहां तैनात कर्मचारियों की विटनेस रिपोर्ट और ड्रोन से वीडियोग्राफी से गिनती। इन तीनों के आंकड़े आने पर स्पेशल साफ्टवेयर से विश्लेषण करते हैं। एवरेज निकालने के बाद जले हुए दीपों का अंतिम आंकड़े जारी करते हैं। इस कार्य में ३५० कर्मचारियों की टीम लगी।
पत्रिका- आपके आंकड़े को ग्रिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉर्ड वाले कैसे स्वीकार करते हैं।
जवाब- हमारे द्वारा विश्लेषण किए गए आंकड़ों के दस्तावेज ग्रिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉर्ड के एज्युकेटर (जज) स्वप्नील गंगराड़े को दिए। उन्होंने इन आंकड़ों का तथ्यात्मक जांच की ओर इसके बाद अधिकृत घोषणा की।
पत्रिका- कंपनी ने इससे पहले भी वल्र्ड रेकॉर्ड बनवाए हैं।
जवाब- दीयों का यह सातवां वल्र्ड रेकॉर्ड है। अयोध्या मेंं पांच तो उज्जैन में दो रेकॉर्ड बनवा चुके हैं। कंपनी की ओर से अभी तक 27 वल्र्ड रेकॉर्ड बनवा चुकी है।