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भाईदूज पर पकवानों से महका भगवान चित्रगुप्त का दरबार

Ujjain News: चक्रतीर्थ पर कुलदेव मंदिर में 56 भोग, महाआरती

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Maha Aarti at Chitragupta Temple on Bhai Dooj

Ujjain News: चक्रतीर्थ पर कुलदेव मंदिर में 56 भोग, महाआरती

उज्जैन. दीपावली की यमद्वितीया तिथि पर चक्रतीर्थ स्थित कायस्थ समाज के कुलदेवता भगवान चित्रगुप्त के दरबार में 56 भोग अर्पण कर महाआरती उतारी गई। भव्य आतिशबाजी और ढोल नगाड़ों के साथ भजन संध्या का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में समाजजन ने शामिल होकर आयोजन का पुण्य लाभ लिया।

चक्रतीर्थ घाट स्थित श्री चित्रगुप्त न्याय मंदिर में कायस्थ युवा समिति द्वारा भाई दूज पर्व पर श्रीचित्रगुप्तजी का विशेष शृंगार और पूजन आरती की गई। चित्रांश परिषद के अध्यक्ष दिनेश सक्सेना एवं कृष्णकांत निगम द्वारा छप्पन भोग का आयोजन किया गया। कायस्थ युवा समिति एवं समाजजन इस अवसर पर मौजूद रहे। अरविंद सक्सेना, ज्योतिर्मय निगम ने बताया कार्यक्रम में सुभाष गौड़ एडवोकेट इंदौर, सुरेश कानूनगो, अभा कायस्थ महासभा प्रदेश प्रभारी सुशील निगम सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद रहे। इसके अलावा ऋषिनगर, रामघाट और अंकपात मार्ग स्थित अतिप्राचीन श्रीचित्रगुप्त मंदिरों में भी महाआरती और अन्य धार्मिक आयोजन हुए। रामघाट पर विधायक पारस जैन ने अभिषेक पूजन किया।

बहन-भाई के अटूट प्रेम एवं श्रद्धा का पर्व भाई दूज

भाईदूज (भ्रातृ द्वितीया ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला सनातन हिन्दू धर्म का अति पावन पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। बहन भाई के अटूट प्रेम एवं श्रद्धा का पर्व भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के अगाध प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है, इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।

यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है। पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)।