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महाकाल मंदिर: दान में हिस्से के लिए कर रहे संशोधन

बार-बार की आपत्तियों से निपटने के लिए उपविधि में संशोधन की तैयारी

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उज्जैन. महाकाल मंदिर के पुजारी-पुरोहितों को दान की राशि से दिए जाने वाले अंशदान पर स्वीकृति मोहर की कवायद चल रही है। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति के अधिनियम/नियम की उपविधि में संशोधन प्रस्तावित है।
महाकाल मंदिर अधिनियम में मंदिर के पुजारी/पुरोहितों को दान की राशि से किसी प्रकार का हिस्सा देने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा कोई मानदेय भी नहीं दिया जाता था। कुछ समय पहले मंदिर प्रबंध समिति ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए अंशदान देने की शुरुआत की थी। इसके बाद मंदिर प्रबंध समिति की ओर से समिति अध्यक्ष के साथ समिति सदस्यों की सहमति पर दान की राशि से पुजारी को ३५ प्रतिशत, पुरोहितों को ७५ और पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत को ७५ प्रतिशत देने प्रारंभ किया था। ऑडिट सहित अनेक लोगों द्वारा अशंदान पर बार-बार आपत्ति लिए जाने से हर बार प्रस्ताव पारित कर निर्णय करना होता है या शासन से अनुमति प्राप्त करना पड़ती थी। इसके निराकरण और स्थायी स्वीकृति के लिए मंदिर प्रबंध समिति द्वारा उपविधि में संशोधन का निर्णय लिया गया है।
समिति का गठन किया था
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की ओर से १६ दिसम्बर २०१६ के ठहराव क्रमांक ३६ में उपविधि में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव रखा गया था। संशोधन के साथ नवीन उपविधि बनाने के लिए मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पांच सदस्यीय समिति का गठन भी किया था। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति २६ अक्टूबर को हुई बैठक में समिति ने नवीन उपविधि तैयार प्रस्तुत की गई थी। इस पर संसोधन के लिए उपसिमिति का गठन किया था। सूत्रों के अनुसार संशोधन समिति और परीक्षण उपसमिति द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया गया था। उपविधि में अशंदान से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल किया गया था।
बैठक नहीं होने से अटका मसला
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की पूर्ण बैठक करीब ६ माह से नहीं हुई है और अभी तक बजट बैठक भी नहीं हुई है। इस बीच कलेक्टर/ मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष का तबादला हो गया। नतीजतन उपविधि में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है।