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वीडियो देखें: महाकाल का महाप्रसाद, भक्ति के साथ हो रहा स्वाद का अनोखा संगम

मंदिर समिति की ओर से संचालित निशुल्क अन्नक्षेत्र में रोजाना डेढ़ से दो हजार श्रद्धालु कर रहे भोजन, हर सोमवार को मिलता है फलाहारी

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अनिल मुकाती
उज्जैन. महाकाल मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर प्रबंध समिति की ओर से संचालित नि:शुल्क अन्नक्षेत्र में स्वादिष्ट और सात्विक महाप्रसाद परोसा जा रहा है। सावन के हर सोमवार को यहां उज्जैयिनी सेवा समिति की ओर से फलाहारी भोजन करवाया जाता है, जिसमें साबुदाना खिचड़ी, आलू चिप्स/मिक्चर, राजगीरे के आटे की पूरी, आमटी, जीरे के तड़के में बनी आलू की सब्जी, साबुदाना खीर आदि शामिल हैं। भादौ के दो सोमवार को फलाहारी की व्यवस्था मंदिर समिति खुद करती है। दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को जब यहां भोजन के रूप में बाबा का महाप्रसाद मिलता है तो आत्मा तृप्त हो जाती है।
प्रवचन हॉल के नजदीक अन्नक्षेत्र संचालित होता है। यहां सुबह 11 से रात 9 बजे तक श्रद्धालुओं को भोजन करवाया जाता है। एक समय में यहां करीब 125 लोग बैठ सकते हैं। दिनभर में यहां डेढ़ से दो हजार लोग भोजन करते हैं। अन्नक्षेत्र में प्रवेश के लिए टोकन मंदिर के अंदर बने काउंटर से लेना होता है। दर्शन कर मंदिर से बाहर निकलने के बाद बड़ा गणेश मंदिर के सामने से श्रद्धालु यहां पहुंच सकते हैं।
मशीन से बनती है रोटियां, लहसुन-प्याज वर्जित
अन्नक्षेत्र प्रभारी रमेश लिंबारकर ने बताया कि सोमवार को छोड़कर यहां दाल, चावल, सब्जी, रोटी और एक मिठाई बनती हैं। यहां रोटी बनाने और आटा गंूथने की मशीनें हैं। इसके माध्यम से ही रोटियां बनाई जाती हैं। दाल-सब्जी में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं होता है। तड़के में भी सिर्फ हींग, राई, जीरा, तेजपत्ता आदि पड़ता है। सावन में यहां रोजाना दूध और चावल से बनी खीर भी परोसी जा रही है। त्योहार विशेष पर भी पकवान बनाए जाते हैं।
पहले महाकाल को लगता है भोग
सुबह 11 बजे से अन्नक्षेत्र शुरू होता है। यहां तैयार हुए भोजन का भोग सबसे पहले बाबा महाकाल को लगाया जाता है। इसके बाद पहली पंगत में बैठे लोगों को प्रार्थना और भोजन मंत्र करवाया जाता है। फिर श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।
सफाई व्यवस्था पर भी फोकस
मंदिर को सेफ भोग प्लेस का अवॉर्ड मिल चुका है। ऐसे में यहां स्वच्छता का भी खास ध्यान रखा जाता है। यहां कार्यरत कर्मचारी एप्रीन, कैप और दस्ताने पहने होते हैं। रसोई में भी सफाई पर फोकस रहता है।
प्रसादी के लिए सालाना होता है टेंडर
अन्नक्षेत्र में प्रसादी बनाने की सामग्री के लिए सालाना टेंडर होता है। इसके बाद डिमांड के आधार पर सामग्री मंगवाई जाती है। साथ ही दानदाताओं का सहयोग भी रहता है। कोई नकद राशि दे जाता है तो कोई गेहूं, शक्कर, चावल, तेल, मसाले आदि का दान कर देता है। साथ ही कोई श्रद्धालु अगर चाहे तो अपनी तरफ से मीनू तय कर यहां भोजन करवा सकता है।