उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी महेश पुजारी का कहना है कि महामंडलेश्वरों और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को ज्ञान नहीं है।शाही शब्द पर भ्रम फैलाया जा रहा है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने दूर कर दिया है। अब देश में किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए। महाकाल की सवारी शाही सवारी के रूप में ही निकलेगी। इसी रूप में इसे माना जाना चाहिए।’
इसके साथ ही महेश पुजारी ने कुछ महामंडलेश्वरों के बयानों के खिलाफ आपत्ति जताते हुए कहा है कि ‘यदि देश की व्यवस्था को हम गुलामी से दूर करना चाहते हैं तो महामंडलेश्वरों और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष को आगरा में बने किले, देश की बड़ी शाही मस्जिदें, शाही इमामबाड़े, इन सभी की गुलामी को दूर कराने के लिए बोलना चाहिए।’
महेश पुजारी ने ये बयान इसी हफ्ते अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंडलेश्वरों के बयान पर दिया है। जिसके मुताबिक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंडलेश्वरों ने शाही को उर्दू और इस्लामिक शब्द बताया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने तो यह तक कहा था, ‘कुम्भ के शाही स्नान से शाही शब्द हटाने की शुरुआत प्रयागराज से कर सकते हैं।’
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बता दें कि सावन-भादौ माह में 2 सितंबर को भगवान महाकाल की शाही सवारी का आयोजन किया गया था। रामघाट पर सवारी का पूजन किया गया। यहां हेलिकॉप्टर से सवारी पर फूल बरसाए जा रहे थे। इस दौरान मध्य प्रदेश के मुखिया सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था ‘ये बाबा महाकाल की शाही नहीं राजसी सवारी है।’ सीएम के इस बयान के बाद शाही शब्द पर ऐसा विवाद छिड़ा कि अब वो थमने का नाम नहीं ले रहा।