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राष्ट्रीय खेल दिवस आज : जज्बे से जीता जहां…कमजोरी को ताकत बना जमाई अपनी धाक

अंचल की प्रतिभाएं विभिन्न खेलों में देश का नाम कर रही रोशन, एकलव्य पुरस्कार और विक्रम अवार्ड किए अपने नाम

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उज्जैन. मन में देश के लिए कुछ करना का जज्बा हो तो कांटे भी फूल दिखने लगते है। आज खेल दिवस पर हम शहर के उन खिलाडिय़ों की बात कर रहे हैं जिन्होंने शारीरिक कमजोरी और कठिन परिस्थिति को आड़े नहीं आने दिया और मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। दिव्यांग मनस्विता ने एक नहीं बल्कि 17 मेडल जीते तो गांव की गलियों से निकलकर हर्षवर्धन े राष्ट्रीय स्तर पर पंच मारकर मेडल जीत रहे हैं।
चीन में उन्हेल की बेटी ने लहराया भारत का परचम
नागदा. अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने चीन के डालियान शहर गए 29 भारतीय खिलाडिय़ों के दल ने भारत का परचम फहराया हैं। बड़ी बात यह है कि इस चैंपियनशिप का हिस्सा बनने का मौका उन्हेल की बेटी आराध्या पोरवाल को भी मिला। चैंपियनशिप में उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बूते क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे मप्र का नाम गौरवांवित किया हैं। अच्छी बात यह है कि आराध्या ने सबसे कम उम्र में खेल के क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने का तगमा हासिल किया हैं।
ज्ञात रहे आराध्या दिल्ली पुलिस की ईओडब्ल्यू शाखा में पदस्थ डीसीपी विक्रम पोरवाल की बेटी व उन्हेल के डॉ. कैलाश पोरवाल की पोती हैं। अल्पआयु में स्क्वॉश खेल में महारथ हासिल करके आराध्या अब खेल जगत में आगे बढ़ रही हैं। पत्रिका से चर्चा में पिता विक्रम ने बताया, चीन के डालियान शहर में 16 से 20 अगस्त तक 30वीं जूनियर इंडिविजुअल स्क्वाश चैंपियनशिप आयोजित की गई थी। जिसमें भारत, मलेशिया, हॉंग-कॉंग, श्रीलंबा, सिंगापुर से खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। दल में शामिल खिलाडिय़ों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इसमें आराध्या ने विभिन्न देशों के खिलाडिय़ों के साथ मुकाबले करते हुए चैंपियनशिप के फस्र्ट रनरअप के जीयु-15 में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। दल के कुल 29 बच्चों में से विभिन्न कैटेगरी के 6 बच्चों ने भी मेडल हासिल करके भारत का नाम गौरवांवित किया हैं। फिलहाल आराध्या ईस्टर्न स्लैम चैंपियनशिप खेलने के लिए कोलकाता में हैं। भारत का परचम
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शारीरिक कमजोरी को ही बनाई अपनी ताकत, मनस्विता ने अब तक जीते 17 गोल्ड
उज्जैन. दिव्यांगता को अपनी मजबूरी या कमजोरी नहीं, बल्कि उसे अपनी ताकत बनाया और अपनी अद्वितीय क्षमता का परिचय दिया। मनस्विता तिवारी केवल 5 साल की थी, ब्रेन और हाथ-पैर के साथ-साथ पूरा शरीर साथ नहीं देता था, तब स्वीङ्क्षमग सीखने सलाह एक सहेली ने उनकी मम्मी कल्पना तिवारी को दी, उन्होंने अपनी दिव्यांग बेटी को स्वीङ्क्षमग सिखाने के लिए पहले खुद ने स्वीङ्क्षमग कोर्स ज्वाइन किया। अब यह स्थिति है कि मनस्विता ने अब तक 17 गोल्ड जीते हैं। कैनोइंग (एक प्रकार की डोंगी चलाना) के क्षेत्र में भी वह उभरती प्रतिभा है। उन्हें हंगरी में आयोजित कैनोइंग फेडरेशन टैलेंट आईडेंटिफिकेशन प्रोग्राम व स्प्रिंट वल्र्ड चैम्पियनशिप में आमंत्रित किया गया। पैरा ओलंपिक स्वीङ्क्षमग चैंपियनशिप में भाग लेकर 17 स्वर्ण, 2 सिल्वर, तथा 2 कांस्य पदक जीते हैं। दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पैरा स्विङ्क्षमग में व्यक्तिगत नेशनल चैंपियनशिप में शामिल होने के साथ ही वर्ष 2017 में एशियन पैरा यूथ गेम गेम्स दुबई में शामिल हो चुकी हैं। सेरेब्रल पाल्सी स्पोट््र्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित नेशनल पैरा स्वीङ्क्षमग चैंपियनशिप 2023 का आयोजन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्वीङ्क्षमग पूल पर किया गया। जिसमें मध्य प्रदेश उज्जैन की खिलाड़ी मनस्विता ने भाग लेते हुए राष्ट्रीय स्पर्धा में तीन स्वर्ण पदक जीत कर मध्यप्रदेश और उज्जैन शहर का नाम गौरवान्वित किया। तैराकी संघ उज्जैन संभाग के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने बताया मनस्विता 50 मीटर फ्री स्टाइल में स्वर्ण पदक, 100 मीटर फ्री स्टाइल में स्वर्ण पदक, 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीत कर अपने खाते में कुल 3 स्वर्ण पदक अर्जित किए। उनके कोच अजय राजपूत लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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जिस वर्ष रग्बी खेलना शुरू किया, उस साल राष्ट्रीय स्पर्धा में हुआ चयन

कालापीपल. राष्ट्रीय खेल दिवस पर ऐसे ही खिलाड़ी का परिचय कराने जा रहे हैं जिसने रग्बी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए शुरुआत में ही राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना ली है। इस खिलाड़ी ने जिस वर्ष रग्बी खेल को खेलना शुरू ही किया उस वर्ष ही राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए चयनित हो गई। कालापीपल तहसील के छोटे से भरदी के किसान दिनेश मेवाड़ा की बेटी सपना मेवाड़ा नगर के कस्तूरबा गांधी हासे में पढ़ते हुए एथलेटिक्स में 200 मीटर रनिंग की चैंपियन रही है। इस दौरान राज्यस्तर पर खेल का शानदार प्रदर्शन किया। वर्ष 2021 के पूर्व रग्बी खेल का जहां शायद किसी ने नाम तक नहीं सुना था, जब खेल के लिए कालापीपल में भी टीमें बनी तो सपना ने भी इस खेल की ओर रुख किया। 2021 में रग्बी खेलना शुरू किया तो कोच अनिल मेवाड़ा व जिला टीम के कोच अर्जुन पाटीदार के नेतृत्व में खेल को तराशते हुए शुरुआत में ही प्रदेश की टीम में स्थान बनाया। ओडिशा के भुवनेश्वर में हुई राष्ट्रीय स्पर्धा में प्रदेश टीम का हिस्सा रही। इसके साथ ही 2021 व 22 में ग्वालियर व भोपाल में आयोजित राज्यस्तरीय स्पर्धा में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सपना कॉलेज में पहुंच चुकी है और रोजाना खेल की 3-4 घंटे प्रैक्टिस करती है।
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गांव की गलियों से निकलकर हर्षवर्धनसिंह ने पंच मारकर जीते पदक
रुनीजा. गांव की गलियों से निकलकर अपने जोश और जुनून से बॉक्सिंग खेल में राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा रहा है। यह होनहार खिलाड़ी खण्डवासुरा जैसे छोटे से ग्राम के किसान का बेटा हर्षवर्धनसिंह राजावत है। वर्ष 2021 में गांव से बडनग़र शहर के एक निजी स्कूल में हर्ष ने प्रवेश लिया। बॉक्सिंग के राष्ट्रीय कोच शांतिलाल सांखला की नजर हर्ष पर पड़ी और उन्होंने इस प्रतिभा को तराश कर राष्ट्रीय मंच पर खड़ा कर दिया और अपनी पहली प्रतियोगिता में हर्षवर्धन ने ओपन स्टेट जो कि ग्वालियर में हुआ था उसमें सिल्वर मेडल जीतकर बॉक्सिंग में अपने अच्छे खिलाड़ी बनने का संदेश कोच शांतिलाल सांखला को दे दिया। हर्ष के पिता सुमेरसिंह राजावत खंडवासुरा के एक छोटे से किसान हैं और माता अंगुरबाला गृहिणी के साथ किसानी कामकाज में हाथ बंटाती है( हर्ष ने सर्वप्रथम 2022 में ओपन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता उसके बाद 2022 में ही स्कूल स्टेट प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद पश्चात ओपन नेशनल खेला, जिसमें आंध्र प्रदेश के खिलाड़ी को हराया। परंतु दूसरी बाउट में महाराष्ट्र की खिलाड़ी से हार गया। 2023 में भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता जो अरुणाचल प्रदेश में हुई थी उसमें बहुत कम अंकों के साथ पदक जीतने से चूक गया। अभी हर्ष मध्यप्रदेश बॉक्सिंग अकेडमी भोपाल में एनआईएस कोच रोशनलाल से प्रशिक्षण ले रहा है। हर्ष ने बातचीत में बताया, उसका सपना है कि अपने देश के लिए ओलंपिक वल्र्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करें।