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नागदा. कम बारिश के कारण सूखाग्रस्त घोषित हुए नागदा में साल के अंतिम दिनों में जलसंकट विकराल रूप ले सकता है। हालांकि शहर सहित नागदा खाचरौद और रेलवे को 15 जून तक पानी पिलाने की जिम्मेदारी ग्रेसिम इंड्रस्टीज की होने के चलते पेयजल संकट तो नहीं होगा, लेकिन चंबल नदी पर पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू होने के बावजूद भी नदी से पानी की बदस्तूर चोरी साल के अंतिम दिनों यानी मई जून में उद्योग में स्लो डाउन करना पड़ सकता है। इस कारण शहर की आर्थिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। लेकिन इन सब के बावजूद प्रशासन ने चंबल से पानी चोरी रोकने पर इसलिए प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि नागदा और खाचरौद दोनों ही नगरपालिकाओं ने उन्हें पेयजल संबंधित कोई पत्र नहीं दिया है। मामले में प्रशासन के रवैए पर सवाल इसलिए उठते हैं क्योंकि 3 माह पहले खुद कलेक्टर ने चम्बल नदी के जल पर पेयजल परिरक्षण अधिनियम लगाकर इस पानी को संरक्षितकरने की बात कही थी। लेकिन सवाल ये उठता है कि यदि इस आदेश का पालन एसडीएम को करना ही नहीं था तो फिर कलेक्टर ने ये कागजी आदेश क्यों निकाले।
समझौते पर भी असर
ये साल उद्योग प्रबंधन और श्रम संगठनों के बीच होने वाले पांच सालाना समझौते का सवाल है। अगर मई जून में पानी की कमी के कारण उद्योग के चक्के थमते हैं तो इसका असर समझौते पर भी होगा। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वो स्वविवेक से कार्रवाई करें।
अब तो फसल को भी पानी की जरूरत नहीं
खास बात या है कि प्रशासन किसानों की फसल का हवाला देकर पेयजल परीक्षण का पालन स्थानीय प्रशासन नहीं कर रहा है। जबकि हकीकत ये है कि फसल तैयार हो चुकी है और अब पानी की जरूरत भी न के बराबर ही है। ऐसे में प्रशासन पानी का खेती के अलावा उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर उद्योग में काम करने वाले हजारों श्रमिकों के मुंह का निवाला छीनने का काम कर रहा है।
नागदा व खाचरौद नगर पालिका की ओर से अब तक किसी प्रकार का कोई पत्र चंबल के पानी के संरक्षण को लेकर नहीं मिला है। पत्र के मिलने के बाद ही पानी चोरी रोकने की कवायद शुरू की जा सकेगी।
आरपी वर्मा, एसडीएम, नागदा
Published on:
09 Feb 2019 08:05 am
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