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उज्जैन

बुजुर्ग को आइसीयू ले जाने कोई वार्ड बॉय नहीं मिला, परिजन स्ट्रेचर पर लेकर दौड़ते रहे

बेशर्म व्यवस्था का इलाज कब... जिला अस्पताल में ३५ से ज्यादा वार्ड बॉय लेकिन मरीज के लिए कोई नहीं आया, आइसीयू में स्ट्रेचर से उतारने वाला भी कोई नहीं मिला

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उज्जैन. जिला अस्पताल में सोमवार को आई एक बुजुर्ग महिला की जान पर बन गई। चिकित्सक ने जांच में स्थिति गंभीर देख बुजुर्ग को तत्काल आइसीयू में भर्ती करने का कहा लेकिन उन्हें ले जाने के लिए स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं हुआ। जैसे-तैसे स्ट्रेचर की व्यवस्था हुई भी तो उसे चलाने के लिए एक वार्ड बॉय तक नहीं आया। दूसरे मरीज की मदद से परिजन ही स्ट्रेचर धकेलकर महिला को आइसीयू ले गए। अस्पताल परिसर में १५ मिनट से ज्यादा समय तक गंभीर बीमार महिला और बेबस परिजनों को देख दूसरों का मन पसीज गया लेकिन जिम्मेदार इस शर्मनाक स्थिति से दूर ही रहे।
संजयनगर निवासी ६० वर्षीय बुजुर्ग रेखा का ब्लड प्रेशर बढऩे घबराहट और शरीर पर सूजन के कारण परिजन निलेश उन्हें जिला अस्पताल लाए थे। महिला चलने की स्थिति में भी नहीं थी। ऐसे में महिला को आइसीयू तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर और वार्ड बॉय की जरूरत थी। अन्य मरीज की मदद से स्ट्रेचर की व्यवस्था तो हो गई लेकिन महिला को आइसीयू तक पहुंचाने के लिए एक भी वार्ड बॉय नहीं आया। आइसीयू में भी शुरुआत में डॉक्टर नहीं मिले और सिस्टर्स ने ही प्रारंभिक स्थिति संभाली।
कम्पाउंडर रूम खोला, स्ट्रेचर निकाला और मरीज को ले गए- जानकारी के अभाव में परिजन महिला को पहले एमरजेंसी कक्ष ले आए थे। यहां से उन्हें ओपीडी जाने का कहा गया। महिला की सांस तेजी से चल रही थी और लगभग अचेत होने के कारण वे चलने की स्थिति में भी नहीं थीं। तीन दिन भर्ती रहने के बाद डिस्चार्ज होकर निकल रहे अन्य मरीज कृष्णा ने जब उन्हें परेशान होते देखा तो वे मदद के लिए आए। पहले उन्होंने वार्ड बॉय का पूछा लेकिन जानकारी नहीं मिली। फिर उन्होंने कम्पाउंडर रूम खोला, अंदर से स्ट्रेचर निकाला और महिला को मिलकर स्ट्रेचर से ओपीडी में ले गए।
३५ वार्ड बॉय, ५० मीटर में एक नहीं मिला
जिला अस्पताल में स्थायी ८७ पद के विरुद्ध ४९ वार्ड बॉय कार्यरत हैं।
आउटसोर्स से करीब ५० वार्ड बॉय पदस्थ हैं। एक समय में ३५ से अधिक वार्ड बॉय और आया जिला अस्पताल में मौजूद रहते हैं।
ओपीडी और आइसीयू के बीच करीब ५० मीटर की दूरी है।
परिजन बुजुर्ग महिला को गंभीर हालत में स्ट्रेचर पर ५० मीटर से अधिक दूरी तक धकेलते ले गए लेकिन इस पूरे रास्ते में अस्पताल की ओर से कोई भी उनकी परेशानी जानने या मदद के लिए नहीं आया, जबकि परिसर में ही कुछ वार्ड बॉय खड़े होकर बाते कर रहे थे वहीं दो वार्ड बॉय की ड्यूटी ओपीडी में लगती है।
आइसीयू में भी बेशर्मी, मददगार से स्ट्रेचर रखवाया
आइसीयू में भी मरीज को स्ट्रेचर से उतारने और बेड पर लेटाने के लिए कोई वार्ड बॉय या आया नहीं आई। अपने रिस्क पर परिजनों ने जैसे-तैसे महिला को बेड पर लेटाया। सिस्टर ने बीपी-ऑक्सीजन लेवल आदि की जांच शुरू की। इसके बाद एक आया आईं और आते ही महिला की मदद करने वालों को आइसीयू से बाहर निकलने का कहना शुरू कर दिया। मरीज को बेड पर शिफ्ट करने के समय कहां थी, पूछने पर आया ने कहा, क्या खाना खाने भी नहीं जाएंगे। अपनी जिम्मेदारियों से पलड़ा झाडऩे वाली आया यही नहीं रुकी, उसने परिजन और मदद करने वाले कृष्णा से कहा, ये स्ट्रेचर कौन लेकर आया है, जहां से लाए हो वहीं रखकर आओ। आया की रुखी भाषा पर कृष्णा ही स्ट्रेचर लेकर गए और बाहर रखकर आए।