
बैंक ऑफ इंडिया की दशहरा मैदान शाखा का मामला, 456 ग्राम सोने के जेवर लॉकर से संदिग्ध परिस्थित में हो गए थे चोरी, दो माह तक चक्कर लगाती रही महिला
उज्जैन. बैंक ऑफ इंडिया की दशहरा मैदान शाखा के लॉकर से कुछ समय पूर्व संदिग्ध परिस्थिति में चोरी हुए लाखों के सोने के जेवर सोमवार सुबह कोई व्यक्ति प्लास्टिक के बॉक्स में पैककर बैंक की खिड़की से अंदर की ग्राहक कुर्सी पर रखकर चला गया। उसकी यह करतूत सीसीटीवी में कैद हो गई हैं। चोरी गए सोने में से 75 ग्राम सोना कम है। बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन और माधवनगर पुलिस जांच में जुटी हैं। शंका है कि पूरी घटना में बैंक के स्टाफ के किसी सदस्य का हाथ हो सकता हैं।
बैंक ऑफ इंडिया की दशहरा मैदान शाखा से रेणु पति नवीन पांडे निवासी बांसखेड़ी तहसील घटिया की ओर से 29 अगस्त 2019 को 456 ग्राम सोने के विभिन्न जेवर एवज 9 लाख रुपए का लोन लिया था। जेवर की कीमत बैंक के मूल्यांकन के अनुसार 12 लाख रुपए और वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार 18 लाख रुपए है। महिला ने 21 अक्टूबर 2019 को लोन राशि चुकाने कर जेवर लेने का आवेदन बैंक को दिया था। इस पर गोल्ड लोन कक्ष का लॉकर खोला गया तो उसमें जेवरात नहीं थे। इस घटना से बैंक में हड़कंप मच गया था, लेकिन किसी को कानों-कान खबर नहीं होने दी गई। इतना ही नहीं बैंक मैनेजर की ओर से रेणु पांडे पत्र लिखकर जेवर गायब होने की जानकारी देने के साथ अवगत कराया गया कि जेवर की क्षतिपूर्ति बैंक द्वारा की जाएगी। जेवर का वर्तमान बाजार मूल्य अधिक होने के साथ ही जेवर पैतृक थे। इसके लिए बैंक के प्रस्ताव पर रेणु पति नवीन पांडे सहमत नहीं थी। इस बात को करीब दो माह बीत जाने के बाद भी बैंक ने जेवर वापस करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की तो रेणु पांडे ने लगभग एक सप्ताह पहले एसपी को आवेदन देकर बैंक प्रबंधन पर कार्रवाई मांग की। इसकी जांच माधवनगर पुलिस को दी गई। इस बीच सोमवार को कोई व्यक्ति जेवर का बॉक्स बैंक में रखकर चला गया।
बैंक खोला तो चेयर पर था बॉक्स
बैंक ऑफ इंडिया की दशहरा मैदान शाखा के मुख्य प्रबंधक अनिल करवंदे ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे स्टाफ के दो सदस्य अंकित और रवि के साथ बैंक का दरवाजा खोला। यहां लगी स्टील चेयर पर अखबार में लिपटे प्लास्टिक की रस्सी से बंधे एक पैकेट पर अंकित की नजर पड़ी और मुझे बताया कि यह क्या है? मेरे मना करने के बाद उसने पैकेट को खोल दिया। इसमें पॉलीथिन के अंदर पेपर लपेटकर प्लास्टिक रस्सी से बंधे प्लास्टिक के बॉक्स में सोने के जेवर थे। इसकी जानकारी तत्काल बैंक के उच्च अधिकारी और पुलिस को दी। इसके बाद रेकॉर्ड के आधार पर बॉक्स में मिले जेवर का मिलन किया तो ये बैंक से चोरी जेवर ही निकले। सीसीटीवी फुटेज देखे गए तो इसमें एक व्यक्ति सुबह 6 बजकर 9 मिनट पर बैंक की खिड़की खोलकर बॉक्स रखते हुए दिखाई दे रहा है। सफेद जैकेट पहने इस व्यक्ति का चेहरा नजर नहीं आ रहा है। वह मुश्किल से एक से दो सेकंड में बॉक्स रखकर नो-दो ग्यारह हो गया। बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में बॉक्स में मिले जेवर का सत्यापन और वजन किया गया। महिला द्वारा 456 ग्राम जेवर बैंक में रखे थे। बॉक्स में 75 ग्राम के अलग-अलग ५ जेवर कम हैं।
बैंक अपने स्तर पर जांच में जुटा था
मुख्य प्रबंधक करवंदे ने बताया कि बैंक के गोल्ड सेल की जिम्मेदारी बैंक के अधिकारी गोकुलचंद शर्मा और दिनेश तोषनीवाल के पास है। गोल्ड सेल की चाबी भी इनके पास ही रहती है। 21 अक्टूबर 2019 को मामला सामने आने के बाद 23 अक्टूबर 2019 को बैंक ग्राहक रेणु पांडे को इससे अवगत कराने के साथ ही माधव नगर पुलिस को घटना की जानकारी दी गई थी। इस बीच बैंक की हाई अथॉरिटी द्वारा अपने स्तर पर जांच की जा रही थी। इस बीच अज्ञात व्यक्ति बॉक्स रखकर गया है। बैंक की जांच में घटना को लेकर प्रथम दृष्टया कौन दोषी मिला है? इस प्रश्न के जवाब में मुख्य प्रबंधक करवंदे का कहना था कि जांच अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंची है। एेसे में यह बताना कि दोषी कौन मुनासिब नहीं है।
बैंक की भूमिका पर सवाल
- बैंक ने लाखों रुपए के जेवर के लॉकर से गायब हो जाने को गंभीरता से नहीं लिया। वही महिला को जेवर की वापस करने की बजाए इसकी केवल पूर्ति करने का प्रस्ताव ही क्यों दिया?
- बैंक के बाहर लगे एक मात्र सीसीटीवी कैमरे के विजन में केवल मुख्य द्वार और एक ही खिड़की को रखा गया, जबकि पोर्च काफी लम्बा है। इसमें दो खिड़की और भी हैं, जो कैमरे के विजन में नहीं हैं।
- बॉक्स रखने वाले ने एल्यूमिनियम सेक्शन की खिड़की को आसानी से खोलकर बंद भी कर दिया। मुख्य प्रबंधक का कहना था कि खिड़की का लॉक खराब है। इस स्थिति से दो सवाल खड़े हुए। लॉक की खराबी बैंक की सुरक्षा में खामी रही। दूसरा सवाल यह भी कि जेवर बॉक्स रखने वाला कोई एेसे व्यक्ति है, जो बैंक की स्थिति से परिचित होने के साथ ही आंतरिक स्थिति को जानता है।
-घटना सामने आने के बाद कई दिनों तक रेणु पांडे को पुलिस के पास जाने से क्यों रोका गया?
-रेकॉर्ड के आधार पर जेवर का मिलान, मूल्यांकन और वजन पुलिस अधिकारियों की गैर मौजूदगी में क्यों किया? मीडिया से दूरी रखी। मीडिया के बुलाने पर पुलिस अधिकारी पहुंचे, तब बैंक अधिकारियों ने सारी जानकारी दी।
दो माह तक पुलिस ने क्या किया
बैंक के मुख्य प्रबंधक करवंदे के अनुसार पुलिस को बैंक प्रबंधन की ओर से 23 अक्टूबर 2019 को घटना की सूचना दी गई थी। इस पर सवाल यह कि आखिर पुलिस ने दो माह तक क्या किया। इस दौरान क्या बैंक ग्राहक रेणु पांडे चर्चा नहीं की गई। तभी तो महिला को कार्रवाई के लिए एसपी सचिन अतुलकर के पास आवेदन लेकर जाना पड़ा। इसके बाद ही मामला सुर्खी में आ गया। एेसा नहीं होता तो शायद बैंक और पुलिस जांच करते रहते और रेणु पांडे और उनके परिजन बैंक के चक्कर लगाते परेशान होते रहते। इस मामले में माधवनगर थाना प्रभारी राकेश मोदी का कहना है कि पुलिस अपनी जांच कर रही थी। इधर शंका है कि घटना में किसी एेसे व्यक्ति का हाथ है, जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर किसी न किसी तरह बैंक से जुड़ा है।
Published on:
24 Dec 2019 12:24 pm
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