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यहां लगेगी दुनिया की पहली वैदिक घड़ी, जानिए क्या है इसकी खास बातें

vikramaditya vedic clock - दुनिया की पहली वैदिक घड़ी उज्जैन में लगने जा रही है। इस घड़ी को मुफ्त में प्ले स्टोर से भी डॉउनलोड किया जा सकता है।

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उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन विश्व में ऐसा शहर बनने जा रहा है जहां दुनिया की पहली वैदिक घड़ी लगाई जाएगी। इस खड़ी की खास बात यह है कि यह मोबाइल में भी नजर आएगी। इसका शुभारंभ पीएम नरेंद्र मोदी अपने उज्जैन दौरे के वक्त करेंगे। वे यहां महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करने अगले माह आ रहे हैं।

आइए जानते हैं दुनिया की पहली वैदिक घड़ी (vedic clock) के बारे में...।

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महाकाल की नगरी में वैदिक घड़ी बन रही है। इसका शुभारम्भ पीएम मोदी जून माह में अपने उज्जैन दौरे के दौरान कर करेंगे। पीएम मोदी 752 करोड़ की लागत से बन रहे महाकाल मंदिर कॉरिडोर के पहले चरण का लोकार्पण करने यहां आएंगे, इसी दौरान वे न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के लोगों को सनातनी संस्कृति से जुड़े कई अहम उपहार दे सकते हैं।

ये हैं वैदिक घड़ी की खूबियां

इस वैदिक घड़ी में ऋग्वेद के अनुसार हिन्दू कालगणनाओं व ग्रीनविच समय पद्धति से एक साथ समय देखा जा सकेगा। इसमें 30 घण्टे, 30 मिनट एवं 30 सेकण्ड का समय दिखेगा। इसे चैत्र प्रतिपदा 2 अप्रैल को महाकाल मंदिर के पीछे रुद्रसागर में लगाया जाएगा। इसे मोबाइल के अलावा टीवी पर भी देखा जा सकेगा। इस घड़ी में मोबाइल एप के द्वारा ब्रम्ह, अलग-अलग समय के अनुसार सूर्योदय का समय, शुभ मुहूर्त, विक्रम संवत कैलेन्डर, मुहूर्त काल, राहु काल और पंचांग समेत तीन अलग-अलग समय गणनाओं का भी पता लगाया जा सकेगा।

कालगणना में उज्जैन का योगदान

अवंतिका नगरी के सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक आचार्य वराह मिहिर का बड़ा योगदान कालगणना में रहा है। वराह मिहिर अपने ज्योतिष गणनाओं से ही किसी भी व्यक्ति के भविष्य की सटीक जानकारी दे दिया करते थे। इसके अलावा उज्जैन कर्क रेखा पर स्थित है और रेखा कभी शहर के बीच में भी रही थी। इसी कारण यहां कर्कराज मंदिर स्थित है। जबकि कालांतर में राजा जयसिंह ने यहां देश की चार वेधशालाओं में से एक वेधशाला, यहां स्थापित की थी। स्वर्गीय पुरातत्वविद पद्मश्री डॉ. विश्री वाकणकर ने उज्जैन के पास डोंगला ग्राम में कर्क रेखा को खोजा था। अब यहां नई अत्याधुनिक वेधशाला बनाई गई है जहां शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिलेंगी। ये वेधशाला आईआईटी के साथ मिलकर खगोल विज्ञान पर काम कर रही है।

सनातन संस्कृति से सम्बन्धित रहेगी ये घड़ी

राजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक डॉ. श्रीराम तिवारी कहते हैं कि हमारा मकसद इस वैदिक घड़ी के माध्यम से उज्जैन की प्राचीन गौरवपूर्ण विरासत को वापस लाना है। उज्जैन के बाद इस घड़ी को देश के बाकी भागों में भी लगाने की योजना है। वे कहते हैं कि इंदौर रोड स्थित नानाखेढ़ा चौराहे पर भी समय स्तंम्भ बनाया जाएगा। इसके अलावा विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी किया जाएगा। डॉ. तिवारी के मुताबिक हम इस घड़ी में हर मुहूर्त, समय पल आदि का नामकरण सनातन हिन्दूधर्म के अनुरूप ही रखेंगे। इसके लिए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अपनी निधि से राशि दी है।

लखनऊ के आरोह श्रीवास्तव ने तैयार की

इस वैदिक घड़ी को आरोह श्रीवास्तव ने अपने पैतृक आवास लखनऊ में ही डिजाइन किया है। इसे मोबाइल और टीवी पर भी लॉन्च किया जाएगा। हमारा उद्देश्य है इस घड़ी के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों की महान तपस्या को पूरी दुनिया के समक्ष पेश किया जा सके।