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महाकाल मंदिर के पुजारियों ने संघ प्रमुख से किए सवाल, पत्र के माध्यम से पूछा इन 3 बड़े सवालों का जवाब

- बयान से देश के ब्राह्मणों और पंडितों को ठेस पहुंची है।

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर देश में बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां रामचरितमानस की चौपाई को लेकर तमाम तरह की बातें कहीं जा रही है, वहीं संघ प्रमुख का मुंबई में संत रविदास की जयंत पर दिया गया बयान इन दिनों खासी चर्चा में बना हुआ है।

ज्ञात हो कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि “जाति भगवान ने नहीं बल्कि पंडितों ने बनाई जो कि गलत है। भगवान हम सभी के लिए एक है। हमारे समाज में बांटकर इसका फायदा दूसरे लोगों ने उठाया है।” वहीं मध्य प्रदेश के उज्जैन में अब भागवत का विरोध हो रहा है।

नाराज लोगों ने संघ प्रमुख के सामने रखे सवाल
संघ प्रमुख के इस बयान से नाराज महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी महेश गुरु और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के उपाध्यक्ष रूपेश मेहता ने इस मामले में कुछ सवाल किए हैं।

दरअसल, यहां के पुजारियों ने संघ प्रमुख को पत्र लिखकर संघ प्रमुख से तीन सवाल किए हैं, साथ ही संघ के अंदर व्यवस्थाओं को लेकर भी प्रश्न खड़े किए हैं। अपने पत्र में इन्होंने पूछा गया है कि क्या संघ में वर्ण व्यवस्था समाप्त करेंगे? साथ ही यह भी लिखा है कि उनके इस बयान से देश के ब्राह्मणों और पंडितों को ठेस पहुंची है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि देश के ब्राह्मणों, पंडितों को इन तीन बातों का उत्तर देने की कृपा करें।

संघ प्रमुख से पत्र में पूछे गए ये 3 सवाल
1. त्रेतायुग में भगवान राम किस वर्ण और वंश के थे? रावण का वंश और वर्ण क्या था? शबरी और केवट किस वर्ण और वंश के थे? त्रेतायुग में वर्ण व्यवस्था किसने बनाई? श्रीराम ने, रावण ने, शबरी ने या केवट ने स्पष्ट करें?

2. द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने यदुवंश में जन्म लिया, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जब स्वयं को वर्ण व्यवस्था का रचनाकार बताया है, तो ब्राह्मण समाज पर आरोप क्यों?

3. यदि देश में वर्ण व्यवस्था समाप्त करना चाहते हैं, तो पहले संघ और घटकों की वर्ण व्यवस्था को समाप्त करें। सभी कार्यकर्ताओं के लिए आदेश निकालें कि अपने लड़के-लड़कियों के विवाह संस्कार दलित और पिछड़े वर्ग में करें। सभी सदस्यों से एक लिखित नोटरी करें कि आप किसी वर्ण से संबद्ध नहीं रहेंगे। यदि कोई भी सदस्य वर्ण व्यवस्था में रहता है, तो वह संघ को छोड़ सकता है या क्या आप स्वयं उसे संघ से बाहर करेंगे?