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छह माह का कोर्स वर्क, परीक्षा के आठ माह बाद भी रिजल्ट नहीं

सत्र २०१६ में प्रवेशित पीएचडी, एमफिल के विद्यार्थी संकट में, थिसिस जमा करने के बाद साक्षात्कार व प्रमाणपत्र के लिए लाइन

उज्जैनFeb 17, 2018 / 06:28 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी और एमफिल पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले शोधाथियों की परेशानी व समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सत्र २०१६ में प्रवेश परीक्षा के दौरान अनियमितताओं के साथ काफी विवाद हुए।

विद्यार्थियों ने कोर्स वर्क में एडमिशन लिया, परीक्षा हुई। करीब आठ माह का समय गुजर जाने के बाद प्रमुख विषयों का रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है। एेसे में पंजीयन से पूर्व छह माह की प्रक्रिया को पूरा करने में दो साल का समय लग गया। वहीं दर्जनों शोधार्थियों की थिसिस जमा होने के बाद साक्षात्कार के लिए अटकी हुई है। कई शोधार्थियों की थिसिस पर प्रमुख अधिकारी ने चर्चा लिखकर लौटा दिया है। साथ ही शोधार्थियों को यूजीसी रेग्यूलेशन २००९ के अनुरूप पीएचडी और इससे पूर्व वालों को यूजीसी के छह बिंदुओं का प्रमाण पत्र विवि की तरफ से दिया जाता है। वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक पद की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ है। आवेदन के लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता है। यह प्रमाण पत्र भी प्राप्त करने के लिए लंबी लाइन लगी हुई है।

प्रोफेसरों की गुटबाजी में उलझे शोधार्थी
विक्रम विवि में पीएचडी के लगभग प्रकरण प्रोफेसरों की गुटबाजी में उलझे हुए हैं। विवि में वर्ष २००७ में पूर्व कुलपति रामराजेश मिश्र के कार्यकाल में कई विषयों में शोध व शोध पर्यवेक्षक बनाए गए। १० साल पूर्व हुए लगभग सभी निर्णय वर्तमान विवि अधिकारियों के निशाने पर हैं। इस निशानेबाजी में अध्यादेश का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है। सभी लोग एक दूसरे के प्रकरणों में कमी निकाल कर फाइलों को अटका रहे हैं। इसका खमियाजा शोधार्थियों को भुगताना पड़ रहा है।

यह है शोध के हाल
मई २०१६ में प्रवेश विज्ञापन जारी हुआ। प्रवेश परीक्षा अगस्त २०१६ में रखी गई, जो टल गई और अक्टूबर में आयोजित हुई। इसके बाद दिसंबर २०१६ से कोर्स वर्क की कक्षाएं शुरू हुईं। मई २०१७ में अवधि पूरी, लेकिन परीक्षा जुलाई तक आयोजित हुई। परीक्षा खत्म होने के बाद आज तक रिजल्ट नहीं आया है। हिंदी, कॉमर्स सहित अन्य प्रमुख विषयों के रिजल्ट अटके हुए हैं।

शोध पर हुए प्रमुख विवाद
राजनीतिक विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष गोपाल शर्मा के अधीन कार्य आरडीसी हुए शोधार्थियों की फाइल रोकी गई। इस प्रकरण पर काफी विवाद हुआ और एक स्थानीय जनप्रतिनिधि विवि के उच्चाधिकारी से भिड़ गया।

लाइब्रेरी साइंस में रीडर अनिल जैन व विभागाध्यक्ष सोनल सिंह के मतभेद के चलते कई शोधार्थियों का कोर्सवर्क का रिजिल्ट रुका। दोनों पक्ष ने शोधार्थियों पर नौकरी में रहते कोर्स वर्क करने की शिकायत की।
समाज कार्य में पीएचडी बंद कर दी गई। इसी के साथ पूर्व से प्रवेशित और कोर्स वर्क कर चुके विद्यार्थियों को भी रोक दिया गया। विवाद के बाद यह फाइल हुई।

राजनीतिक विज्ञान के तहत होने वाली लोक प्रशासन में पीएचडी को बंद किया। यह विषय शिक्षक संघ अध्यक्ष कनिया मेढ़ा का है। मेढ़ा लगातार विवि प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
शिक्षा संकाय का पीएचडी प्रवेश परीक्षा २०१६ का रिजल्ट बिना किसी कारण के रोका गया। यह विभाग पूर्व कुलपति रामराजेश मिश्र का है।

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