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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में महुआ व अन्य वनोपज बीनने के लिए न करें प्रवेश

विभाग संवेदनशील क्षेत्र में चस्पा की सूचना

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Do not enter the restricted area of Bandhavgarh Tiger Reserve to pick Mahua and other forest produce

Do not enter the restricted area of Bandhavgarh Tiger Reserve to pick Mahua and other forest produce

उमरिया. मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने ग्रामीण जनों से हिंसक वन्यप्राणियों के क्षेत्र में एवं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में महुआ या अन्य वनोपज बीनने के लिए प्रवेश न करने की अपील की है। इस आशय की सूचनाएं भी संवेदनशील क्षेत्र में चस्पा की गई हैं एवं ग्रामीणों की बैठक ली जाकर उन्हें वन समिति सदस्य तथा मैदानी कर्मचारी के द्वारा समझाइश दी गई है। समस्त ग्रामीण से पुन: अपील की जाती है कि वे महुआ एवं अन्य वनोपज संग्रहण के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों या हिंसक वन्यप्राणियों के विचरण के क्षेत्र में प्रवेश न करें इसके अतिरिक्त जिस भी क्षेत्र में वे लोग वनोपज का संग्रहण करने जाते हैं वे वहां समूह में संग्रहण करने जाएं एवं समूह में एक या दो लोग इस बात पर निगाह रखें कि कोई हिंसक वन्यप्राणी आस-पास तो नहीं है। सर्तकता एवं सावधानियां बरतने से भविष्य में किसी भी प्रकार की जनहानियों से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि 29 अप्रैल को 2020 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर रेंज के कोर परिक्षेत्र में महुआ बीनने वाले ग्रामीण रामसुहावन बैगा को बाघ द्वारा घायल कर दिया गया इसके पूर्व भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही मेढ़की गांव की एक बालिका को महुआ बीनते समय मार दिया था। इसी तरह एक सुरक्षा श्रमिक की बाघ के हमले में मृत्यु हो गई। महुआ बीनते समय वन्यप्राणियों द्वारा घायल किये जाने अथवा महुआ बीनने वाले को मार डाले जाने की अनेकों घटनाएं माह अप्रैल में हुई हैं। न सिर्फ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एवं आसपास के जिलों के वन पूरे प्रदेश तथा देश में भी महुआ बीनने वालों या अन्य वनोपज के लिए हिंसक वन्यजीव के क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले ग्रामीणों पर वन्यजीवों के हमले में जनहानि अथवा जनघायल के अनेकों प्रकरण प्रकश में आए हैं।
ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ होते ही महुआ के फल गिरना प्रारम्भ होते हैं जिसे खाने के लिए चीतल, बंदर, लंगूर, साम्भर या अन्य शाकाहारी प्राणी आते हैं इन्हीं के पीछे शिकार करने की नियत से बाघ एवं तेंदुआ भी जाते हैं। महुआ बीनने वाले संग्राहक झुककर अथवा जमीन पर बैठकर महुआ बीनते हैं जिससे ये हिंसक प्राणियों का चौपाया समझकर आक्रमण कर देते हैं। बाघ और तेंदुआ के अतिरिक्त जंगली भालू या जंगली ***** भी महुआ खाने आते हैं और महुआ संग्रहण करके ग्रामीणों पर हमला कर देते हैं। गर्मियों के दिनों में महुआ के छायादार वृक्षों के नीचे भी अक्सर हिंसक प्राणी छाया में विश्राम करने हेतु बैठे रहते हैं एवं ऐसे क्षेत्रों में ग्रामीणों के आ जाने पर उनपर हमला कर उन्हें मार डालते हैं या गंभीर रूप से घायल कर देते हैं।