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हड़ताल से बिगड़ा प्रशासनिक माहौल

साख सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर

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Striking administrative atmosphere

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उमरिया. मध्यप्रदेश प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों नें अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट के समक्ष अनिश्चित कालीन हड़ताल आज से शुरू की है।
संघ के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र द्विवेदी ने बताया कि मुख्यत: संस्था में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन मान लागू किया जाए, जिला कैडर घोषित किए गए स्थानांतरित नीति लागू की जाए, कम्प्यूटर आपरेटरों को नियम के तहत लिया जाए, सेवा निवृत्ति की आयु 62 वर्ष की जाए और कर्मचारियों को राज्य शासन के कर्मचारी का दर्जा दिया जाए आदि मांगे शामिल है। सुरेंद्र द्विवेदी ने बताया कि अपनी मांगों के ंसबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने कहा है कि यदि मंागे नही मानी गई तो समस्त कर्मचारी अगले चरण में मुण्डन संस्कार, क्रमिक भूख हड़ताल एवं आमरण अनशन के लिए बाध्य होंगे। उन्होने बताया कि संस्था में कार्यरत कर्मचारियों ने शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे किसानों को जीरों प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना, खाद, बीज दवाईयां, कृषि यंत्र , समर्थन मूल्य पर गेहूं धान की खरीदी, भावांतरण पंजीयन योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मध्यान्ह भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि योजनाओं का बाखूबी निर्वहन कर शासन की छवि बनाने का काम किया है। इसी का परिणाम रहा है कि मध्यप्रदेश शासन को लगातार पांचवी बार भारत शासन द्वारा कृषि कर्मण आवार्ड से नवाजा गया हैें। संगठन की ओर से कहा गया है कि यदि जायज मंागे समयावधि में नही मानी गई तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह हड़ताल आगामी चुनाव में भी शासन को सबक सिखायेगी।
संविदा स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर
ंजिले में स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। संगठन की ओर से कहा गया है कि 15-20 वर्ष से लगातार सेवा देने के बावजूद भी कर्मचारियों को नियमित नही किया गया वही आये दिन निकालने की धमकियां, वेतन का भुगतान नही करने एवं अन्य सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है, जबकि स्वास्थ्य कर्मी मानवीय संवेदनाओं के साथ मरीजों एवं नागरिकों की सेवाओ में तन, मन से जुटे रहते है। स्वास्थ्य कर्मियो ने कहा है कि अन्य शासकीय कर्मचारियो की भांति संविदा कर्मचारियो को नियमित किया जाए और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाए। यदि मांगे नही मानी गई तो प्रदेश के मुख्यमंत्री को सबक सिखाकर ही कर्मचारी दम लेंगे।