
जानिए कौन हैं बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, जिन्होंने बढ़ा रखी है सीएम योगी आदित्यनाथ की मुसीबत
उन्नाव. बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगे दुष्कर्म के आरोप के बीच अफवाहों का बाजार गर्म है। एक तरफ जहां उन्हें फरार बताया जा रहा है जबकि जानकारी के मुताबिक वह अपने लखनऊ निवास पर मौजूद हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सिंह सेंगर डीजीपी से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रही हैं। संगीता सिंह सेंगर ने कहा कि जब तक जांच न हो जाए तब तक किसी प्रकार के निर्णय में आना गलत है। जनपद में कुलदीप सिंह सेंगर अजेय विधायक के रुप में ही नहीं जाने जाते हैं बल्कि इनके साथ ही पार्टी को सत्ता में आने का शुभ संकेत भी मिलता है। कुलदीप सिंह सेंगर ने जिस पार्टी से भी चुनाव लड़ा हो वह सत्ता में अवश्य आ जाती है। उनकी विधायकी सत्ता में आने का पार्टी को प्रमाण पत्र मिलना कहा जाता है। अब यह उनके सितारों की चमक कहीं जाए या कुछ और लेकिन लगातार चौथी बार कुलदीप सिंह सिंगर सत्ता पक्ष के विधायक हैं।
अजेय विधायक के रूप में जाने जाते हैं कुलदीप सिंह सेंगर
भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जनपद में सर्वमान्य विधायक के रूप में जाने जाते हैं। लगातार अपनी चौथी पंचवर्षीय विधानसभा कार्यकाल मैं सफलता हासिल की है। जिसकी शुरुआत उन्होंने सदर विधानसभा से की थी। यहां से निकलकर बांगरमऊ, भगवंतनगर और फिर बांगरमऊ से उन्हों ने चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। अजेय विधायक के रूप में जाने जाने वाले कुलदीप सिंह सेंगर आज तक कोई भी चुनाव नहीं हारा है। युवा कांग्रेस से राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की 2002 के विधानसभा चुनाव के पूर्व उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। जिसके बाद बसपा ने उन्हें सदर विधानसभा से टिकट दिया। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को कांग्रेस के प्रत्याशी शिवपाल शिवपाल यादव को हराकर यह जीत हासिल की। इसके पहले यह सीट समाजवादी पार्टी के दीपक कुमार के पास थी। 2002 के चुनाव के बाद एक विधायक के रुप में कुलदीप सिंह सेंगर ने जनपद में अपनी पहचान बनानी शुरू की और पुरवा विधानसभा मैं अपनी चाल अकादमी बढ़ा दी। कुलदीप सिंह सेंगर की लोकप्रियता बढ़ने के साथ बसपा के अंदर उत्तल पुथल हुई और बसपा हाईकमान को भी उनकी सक्रियता नागवार गुजरी। इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया।
बसपा से निकाले जाने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर ने ज्वाइन की समाजवादी पार्टी
बसपा से निकाले जाने के बाद कुलदीप सिंह सेंगर ने मुलायम सिंह यादव पर विश्वास और निष्ठा जताते हुए समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी उन्हें निराश नहीं किया। 2007 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें बांगरमऊ से टिकट दिया। इस चुनाव में भी कुलदीप सिंह सेंगर ने सफलता हासिल की और समाजवादी पार्टी के अंदर उनका कद बढ़ा। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथ एक मिथक और जुड़ा है कि उन्होंने लगातार अपनी विधानसभा को नहीं दोहराया। इसी क्रम में उन्होंने विधानसभा का तीसरा कार्यकाल पूरा करने के लिए भगवंत नगर को चुनाव और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भगवंत नगर से टिकट दिया। इसके पूर्व अखिलेश यादव के द्वारा निकाले गए रथ यात्रा का रूट मार्ग कुलदीप सिंह सेंगर के विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरा। जिसका भी लाभ उन्हें मिला। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर अजेय विधायक की कहावत को चरितार्थ करते हुए जीत हासिल की। लगातार 3 पंचवर्षीय योजना पूरी करने के बाद माखी थाना क्षेत्र के माखी निवासी कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। भारतीय जनता पार्टी ने कुलदीप सिंह सेंगर को बांगरमऊ का टिकट दिया। यहां पर भी उन का परचम लहराया और दूसरी बार उन्होंने बांगरमऊ विधानसभा की सीट पर फतह हासिल की।
लॉटरी से घोषित की गई थी संगीता सिंह सेंगर की जीत
सपा शासनकाल में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति रावत को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था। जबकि कुलदीप सिंह सेंगर अपनी पत्नी संगीता सिंह सिंगर के लिए टिकट मांग रहे थे। टिकट ना मिलने के कारण कुलदीप सिंह सेंगर ने बागी तेवर अपनाते हुए अपनी पत्नी संगीता सिंह सिंगर का नामांकन जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए कराया और जोरदारी से चुनाव भी लड़ा। भारी गहमागहमी और सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुए चुनाव में दोनों प्रत्याशियों को बराबर मत मिले। जिस के बाद हुए लॉटरी में संगीता सिंह सेंगर को विजय घोषित किया गया। बाद में समाजवादी पार्टी ने संगीता सिंह सिंगर को अपना अध्यक्ष घोषित कर दिया था।
Updated on:
11 Apr 2018 04:48 pm
Published on:
11 Apr 2018 03:14 pm
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