
जानिये क्या है उन्नाव गैंगरेप का पूरा मामला, जिसमें फंसे हैं बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए उन्नाव गैंगरेप मामला गले की फांस बन चुका है। कई दिनों हो रही फजीहत के बाद अब यूपी सरकार भी ऐक्टिव मोड में आ गई है और पूरे मामले की एसआईटी जांच कराने के साथ-साथ हर दोषी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की बात कर रही है। वहीं दूसरी तरफ अब ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में भी पहुंच चुका है। आइये आपको बताते हैं इस मामले में कब क्या हुआ...
पिछले साल जून का मामला
मामला पिछले साल जून का है। जब एक नाबालिग लड़की ने उन्नाव के बांगरमऊ से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। लेकिन आरोपों पर कोई कार्रवाई होने के बयाए उस समय वह लड़की अचानक गायब हो गई। जिसके बाद उसके परिवार वालों ने लड़की की गुमशुदगी की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। परिजनों की शिकायत के करीबन 9 दिनों बाद लड़की को औरेंया जिले के एक गांव से बरामद किया गया। जहां से उसे वापस उन्नाव लाया गया। जिसके बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश करके उसके बयान दर्ज कराए।
नहीं लेने दिया गया बीजेपी विधायक का नाम
वहीं तब इस मामले में पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे अपने बयान में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लेने दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पीड़ित परिवार अपनी लड़की को लेकर उन्नाव से दिल्ली चला गया। लेकिन इस बीच उसने मामले की पैरवी बंद नहीं की। पीड़ित परिवार लगातार अपनी शिकायतें मुख्यमंत्री से लेकर यूपी के तमाम अधिकारियों तक करता रहा। जिससे वह बीजेपी विधायक विधायक कुलदीप सेंगर और उसके भाई अतुल सिंह सेंगर के खिलाफ इस मामले में मुकदमा दर्ज करा सके।
खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो पीड़ित की मां ने बीजेपी विधायक और उसके भाई पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए इस साल फरवरी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इसी साल 3 अप्रैल को पीड़ित कि मां की दायर याचिका पर सुनवाई की। केस की सुनवाई के दौरान पीड़ित के पिता अपने पूरे परिवार के साथ उन्नाव वापस लौटे। उस समय भी पीड़ित के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सिंह ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हम लोगों को धमकी दी।
पिता को पुलिस ने किया गिरफ्तार
परिवार वालों ने आरोप लगाया कि केस की सुनवाई के दौरान ही पीड़ित के पिता को अवैध हथियार के रखने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद 5 अप्रैल को पीड़ित के पिता को जेल भेज दिया गया। इस दौरान पीड़ित के पिता ने विधायक के भाई अतुल सिंह और उसके साथियों पर आरोप लगाया कि उन लोगों ने उसके साथ मारपीट की और उसे जबरदस्ती इस मामले में फंसाया गया। हालांकि पीड़ित के पिता के इन आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन तमाम घटनाक्रमों से परेशान होकर पीड़ित लड़की ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। जिसके बाद अचानक यह पूरा मामला आग की तरह चारों तरफ फैल गया। वहीं इस बीच बीते 9 अप्रैल को पुलिस हिरासत में लड़की के पिता की मौत हो गई। इस घटना ने मामले में आग में घी डालने का काम किया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मचाया हड़कंप
पीड़ित लड़की के पिता की मौत के बाद जब उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो इस बात की पुष्टि हो गई कि उसे बेरहमी से मारा गया था। डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ लिखा है कि मारपीट की वजह से ही उसकी बड़ी आंत फट गई और पूरे शरीर में 14 जगहों पर गंभीर चोट के निशान हैं। ये चोट 6-7 दिन पुरानी भी है।
ऐक्शन में आए सीएम योगी आदित्यनाथ
इस पूरे मामले में अचानक चारों तरफ से दबाव बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ऐक्शन में आए और मामले की जांच के लिए एसआईटी को लगाया। योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग को आदेश दिया कि एसआईटी उन्नाव जाए और जांच करके अपनी पहली रिपोर्ट उन्हें सौंपे। वहीं इस बीच मामले की जांच के लिए एडीजी लखनऊ के नेतृत्व में पुलिस टीम भी पीड़ित लड़की के घर पर पहुंची और जांच की। पीड़ित लड़की के घर पहुंचे लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने कहा कि हम राज्य सरकार को मामले में अंतिम रिपोर्ट देंगे। सभी पक्षों की विस्तृत जांच की जाएगी और किसी भी दोषी को बक्शा नहीं जाएगा।
उन्नाव एसपी ने भेजी रिपोर्ट
पूरे मामले में एसपी उन्नाव ने भी अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को भेजी। एसपी की रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले दस महीने से दोनों पक्षों के बीच मुकदमेबाजी और रंजिश चल रही है। इस मामले में लड़की के परिवार वालों पर विधायक पक्ष की ओर से भी सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी और पोस्टर बंटवाने को लेकर तीन मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
कई वीडियो हुए वायरल
आपको बता दें कि इस पूरे घटनाक्र के दौरान कई वीडियो भी सामने आने लगे। जिसमें से मंगलवार को पीड़ित लड़की के पिता का एक कथित विडियो सामने आया था। जिसमें कुछ कागजातों पर पीड़ित के पिता के अंगूठे के निशान लिए जा रहे हैं। यही नहीं इस बीच दुष्कर्म पीड़ित के लड़की के चाचा और विधायक कुलदीप सेंगर के बीच बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ। जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर लड़की के चाचा को चेतावनी भरे अंदाज में सुधरने की नसीहत देते सुने गए।
विधायक की पत्नी आई सामने
वहीं इस बीच बुधवार को बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर भी उनके बचाव के लिए मैदान में आईं। कुलदीप की पत्नी ने बुधवार को डीजीपी आवास पहुंचीं और उनसे मुलाकात की। इस दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए उनकी पत्नी ने कहा कि मैं यहां अपने पति के लिए न्याय मांगने आई हूं। संगीता सेंगर ने रोते हुए अपने पति और पीड़ित लड़की का नारको टेस्ट कराने का मांग की। संगीता सेंगर ने कहा कि बिना किसी सबूत के ही मेरे पति को रेपिस्ट कहा जा रहा है, सह बिल्कुल गलत है।
पीड़ित लड़की ने सीएम योगी से की अपील
दूसरी तरफ गैंगरेप पीड़ित लड़की ने सीएम योगी से अपील करते हुए कहा कि मैं उनसे न्याय दिलाने की मांग करती हूं। मुझे डीएम ने एक होटल के कमरे में बंद कर दिया और पानी तक नहीं पीने दिया गया। मैं सिर्फ यह चाहती हूं कि मामले में दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की सीबीआई जांच और मुआवजे की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगले हफ्ते इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यूपी सरकार से इस मामले को लेकर रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट ब्रहस्पतिवार को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा। इस बीच नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) ने उत्तर प्रदेश की सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
पूरे मामले में स्थानीय पुलिस की लापरवाही तो नहीं?
कुल मिलाकर पूरे घटनाक्रम को देखकर यही बात सामने आ रही है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस से बड़ी चूक हुई है। दोनों पक्षों के बीच चल रही दुश्मनी को देखते हुए अगर पुलिस ने समय रहते कोई कड़ी कार्रवाई की होती, तो इस पूरी घटना को टाला जा सकता था।
Updated on:
11 Apr 2018 04:21 pm
Published on:
11 Apr 2018 02:45 pm
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