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…जब कवियों की शोभायात्रा में रिक्शे पर निकले थे गोपालदास नीरज

युगकवि गीतकार पद्म गोपालदास नीरज पर विशेष...

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Gopal Das Neeraj in Unnao

...जब कवियों की शोभायात्रा में रिक्शे पर निकले थे गोपालदास नीरज

नरेंद्र नाथ अवस्थी

उन्नाव. पद्मश्री महाकवि गोपाल दास नीरज का दिल्ली के ऐम्स अस्पताल में निधन होने से जनपद के साहित्य जगत में शौक की लहर दौड़ गई। जनपद से गोपालदास नीरज का बहुत पुराना नाता था। जनपद में निकाली गई कवियों के शोभायात्रा में गोपालदास नीरज रिक्शे में बैठ कर शामिल हुए थे। यह शोभायात्रा त्रिपाठी पार्क से ज्यादा उद्यान तक आई थी। गोपालदास नीरज के निधन से जनपद के साहित्य जगत में शौक की शोक की लहर दौड़ गई कवि वकील साहित्कार शिक्षक सभी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं।


धीरेंद्र शुक्ला ने की यादें साझा

1970 के दशक में गोपालदास नीरज के साथ मंच साझा करने वाले वरिष्ठ कवि धीरेंद्र कुमार शुक्ल ने पत्रिका के साथ यादें साझा की। गोपालदास नीरज के साथ बिताए गए क्षण को याद करते हुए धीरेंद्र कुमार एक के बाद एक पन्ने पलटते गए। उन्होंने कहा गोपाल दास नीरज के निधन की सूचना से मन व्यथित हो गया। अतीत की अनेक स्मृतियां चलचित्र की तरह नज़र आ रही हैं। धीरेंद्र कुमार शुक्ल के अनुसार भारती परिषद उन्नाव से उनका सीधा जुड़ाव था। परिषद के मंत्री के रूप में मुझे नीरज जी को अभिनन्दन पत्र देने का सौभाग्य भी मिला था।


विशिष्ट दार्शनिक, चिंतक, युग कवि का स्वभाव सहज

उन्होंने कहा कि 1971 के आसपास जनपद में कवियों की एक शोभायात्रा निकाली गई थी जिसमें गोपालदास नीरज को लाने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई। उन संस्मरणों को याद करते हुए श्री शुक्ल ने कहा कि शोभा यात्रा के दौरान उनका सहज भाव सामने आया जबकि विशिष्ट दार्शनिक, चिंतक, युग कवि थे। नीरज जी का मूल्यांकन कर पाना सरल नही है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गीतविधा को उन्होंने भिन्न-भिन्न रोमांचक आयाम दिए। वस्तुतः वो गीतिका के प्रवर्तक के साथ-साथ जनसाधारण के लिए साहित्य सृजन देकर संसार से विदा हुए हैं। उनके गीत तब तक गुनगुनाए जाएंगे जब तक दुनिया रहेगी, दर्द रहेगा, प्रेम की कसक होगी।


नीरज जी युग के सबसे समर्थ हस्ताक्षर

दार्शनिक चेतना के संवाहक गोपाल दास नीरज युग के सबसे समर्थ हस्ताक्षर थे। पीढ़ियों को दिशा देने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। निर्भयता की ये मिसाल है कि आपातकाल में उन्होंने मंच से विस्तृत गीत गाया...


सिंघासन तो है गांधी का, पर शासन चोर बजारों का।
लगता है आने वाला है, मौसम फिर से अंगारों का।।

मुझे नीरज जी के गीतों की अनगिनत पंक्तियां याद हैं। जिन्हें मैंने सीधे उनसे सुना था-
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह।
याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह।।

मौत सामने खड़ी है इस परिकल्पना में भी उन्हीने गुनगुनाया कि
चलता हूं, अभी चलता हूं........
एक गीत ज़रा झूमकर गा लूं तो चलूं।।

वरिष्ठ कवि साहित्यकार धीरेंद्र शुक्ला ने कहा कि गोपालदास नीरज ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने अपने आयुष्य से अनेक गीतकार परिमार्जित किये। क्या भूलूँ- क्या याद करूँ के आहत मन में नीरज जी की यादें हृदय में दर्द की संवेदना इस क़दर है कि भले ही उन्होंने लंबी आयु प्राप्त की हो लेकिन मेरे नज़रिए से इस युग का शीर्षस्थ प्रेरक, कवि-गीतकार, चिंतक, मनीषी, दार्शनिक योद्धा तथा चेतना का संवाहक संसार को बिलखता छोड़ गया। इसके साथ ही साहित्यकार अतुल मिश्रा, सेंट्रल बार अध्यक्ष मोहन लाल मिश्रा धीरज, अधिवक्ता अजेंद्र अवस्थी, सहकारी बैंक के अध्यक्ष हरि सहाय मिश्र आदि ने भी गोपालदास नीरज के निधन पर शोक व्यक्त किया है।