
रिमोट से चलने वाली मशीन से डाली जा रही गैस पाइपलाइन, ऊपरी सतह को नहीं पहुंचता नुकसान
उन्नाव. अब नदी पार करने के लिए ना तो पुल से जाने की जरूरत है और ना ही तैर कर या फिर नाव से। ऑटोमेटिक मशीन वह भी रिमोट से चलने वाली के द्वारा बनाई जा रही सुरंग से आसानी से नदी पार की जा सकती है। रायबरेली उन्नाव मार्ग पर रिमोट से चल रही मशीन को देख कर कहा जा सकता है कि अब वाकई मशीनी युग आ गया है। जहां आदमियों का काम एक मशीन कर रही है। वह भी थोड़ा-बहुत नहीं एक बार में कई कई किलोमीटर तक की सुरंग बना दी जाती है। मशीनों की क्षमता टन में मापी जाती है। जिससे 200 मीटर से 2 किलोमीटर तक की सुरंग एक बार में बनाई जा सकती है। सेंसर के माध्यम से जमीन के 15 से 20 मीटर नीचे यह कार्य किया जाता है। सबसे पहले ड्रिल मशीन के द्वारा पाइप भेजा जाता है उसके बाद दूसरी तरफ गड्ढे में रीमर लगाया जाता है और फिर उसमें पाइप बांध दिया जाता है। यह प्रक्रिया करने के बाद पाइप को वापस किया जाता है जिसके माध्यम से डाला जाने वाला पाइप भी खींच लिया जाता है HDD ड्रिल मशीन के नाम से जाने जाने वाली यह मशीन उन्नाव से रायबरेली के बीच बिछ रही गैस पाइपलाइन को डाल रही है।
रिमोट के द्वारा संचालित होती है मशीन
मध्यप्रदेश के दतिया निवासी थान सिंह HD ड्रिल मशीन के ऑपरेटर हैं जिनकी अंगुलियां रिमोट के बटन को दबा रही हैं और भारी भरकम मशीन अपनी जगह ले रही है भारी भरकम मशीन को रिमोट के जरिए कंट्रोल करके उन्नाव से रायबरेली के बीच गैस पाइपलाइन डालना यह बताता है कि इस मशीन युग ने एक साथ कई हाथों का रोजगार छीन लिया। लेकिन कार्य की गति काफी तेज हो गई है इस संबंध में बातचीत करने पर थान सिंह ने बताया कि एक जगह लगभग चार-पांच फुट का गड्ढा करके रिमोट से चलने वाली मशीन के जरिए आगे बढ़ा जाता है। इसमें सेंसर भी लगा होता है। जो दिशा का ज्ञान कराता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमें जाना कहां है। गड्ढे के माध्यम से हम पहले गहराई की तरफ जाते हैं। उसके बाद सेंसर के द्वारा निर्धारित दिशा में हम आगे बढ़ते हैं। सबसे बड़ी खूबी मशीन की या है कि छोटे पाइप डालने के समय यहां से कोई मिट्टी नहीं निकाली जाती है बल्कि मिट्टी को जमीन के अंदर ही साइड में दबा दिया जाता है। इसका उदाहरण यह समझाया जाए कि जब हम जमीन में खुटा घाड़ते हैं तो मिट्टी साइड में दब जाती है। मशीन में रिमर लगा होता है और साथ में चलने वाला कटर को रिमोट के जरिए कंट्रोल करके गंतव्य तक लाया जाता है इस दौरान कटर मिट्टी को साइड में दाबते हुए आगे बढ़ते जाती है और निर्धारित जगह पहुंच कर वहां से इसमें पाइप को जोड़ दिया जाता है।
रीमर अपने साथ वापस पाइप लाइन लाती है
इसके बाद रीमर या कटर अपने साथ उस पाइप को खींचते हुए वापस चली आती है और इस प्रकार जमीन के अंदर पाइप डाल दी जाती है। उन्नाव से रायबरेली के बीच बीच डाली जा रही गैस पाइपलाइन में 33 टन की मशीन का प्रयोग हो रहा है। जिसके माध्यम से 200 मीटर तक का पाइप एक साथ डाला जा सकता है। इस संबंध में बातचीत करने पर थान सिंह ने बताया कि 133 टन ढाई सौ तक की मशीनें आती है। जो एक बार में एक से 2 किलोमीटर तक की दूरी को 10 से 15 मीटर नीचे जाकर बड़े-बड़े पाइपलाइन डाल सकती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि एच डी डी मशीन को ट्रक पर रखकर कहीं भी लाया और ले जा सकता है। इस कार्य में सहयोगी के रुप में थान सिंह रावत के साथ टिंकल, रविंद्र सिंह रावत, कामता सिंह रावत, रायसिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे जिनके माध्यम से गैस पाइप लाइन डालने का काम चल रहा है।
Published on:
23 Feb 2018 02:39 pm
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