
इस दौरान टिकैत ने सरकार की कृषि नीतियों पर सवाल उठाए और पूंजीपतियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब रोटी भी बाजार की वस्तु बनने जा रही है, जिससे किसान और आम जनता को नुकसान होगा।
राकेश टिकैत ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कृषि सुधारों के नाम पर किसानों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने किसानों से एकजुट रहने की अपील की और कहा कि यदि किसान मजबूती से डटे रहेंगे, तो ही सरकार झुकेगी। टिकैत का आरोप था कि सरकार केवल बड़े उद्योगपतियों के पक्ष में नीतियां बना रही है, जिससे किसानों, मजदूरों और आम जनता की परेशानियां बढ़ रही हैं।
महापंचायत के दौरान जब उनसे इतिहास से जुड़े बयानों पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने तीखा जवाब दिया। औरंगजेब को आक्रांता बताते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि उसकी कब्र भारत में क्यों है। व्यंग्य करते हुए टिकैत ने कहा कि अगर उसकी कब्र को इतना दिखाना ही है, तो उसे बीजेपी मुख्यालय में ले आओ और वहीं से दिखाओ।
इसके साथ ही टिकैत ने राणा सांगा को भारतीय इतिहास का महान योद्धा करार दिया और कहा कि उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के विषयों को उठाती है।
टिकैत ने साफ किया कि किसान आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। जब तक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी नहीं मिलती और अन्य लंबित मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने सरकार से किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने की मांग की।
महापंचायत में हजारों किसानों ने भाग लिया और सरकार की नीतियों का विरोध किया। किसान नेताओं ने एक सुर में कहा कि यदि किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। स्थानीय किसान नेताओं ने भी अपने विचार रखे और किसानों को संगठित रहने का आह्वान किया।
Updated on:
28 Mar 2025 03:11 pm
Published on:
28 Mar 2025 03:08 pm
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