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भारतीय रेलवे ने उन्नाव जंक्शन को मॉडल स्टेशन बनाने का दो बार दिया बजट, नहीं हुआ कोई कार्य

उन्नाव जंक्शन पर न यात्रियों बचने के लिए छाया और न ही पीने के लिए स्वच्छ जल। 11 करोड़ रुपए खर्च किए बिना ही बन गया उन्नाव जंक्शन मॉडल स्टेशन।

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Indian Railway gave budget for making model station to Unnao Junction

उन्नाव. न यात्रियों को सर्दी, गर्मी, बरसात से बचने के लिए छाया और न ही पीने के लिए स्वच्छ जल। 11 करोड़ रुपए खर्च किए बिना ही बन गया उन्नाव जंक्शन मॉडल स्टेशन। मॉडल स्टेशन के नाम पर कोई भी सुविधा यात्रियों को उपलब्ध नहीं है। यहां तक की प्लेटफार्म की लंबाई भी ट्रेन की लंबाई के बराबर नहीं है। शौचालय की व्यवस्था की यात्रियों के अनुसार नहीं है। जिससे रेल यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेलवे यात्रियों को मिलने वाला पानी की शुद्धता पर प्रश्नचिंह लगता है। जब टंकी के नीचे पानी की सड़ांध लोगों को बेचैन कर रही हो। चारों तरफ गंदगी का ढेर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि पानी की टंकी के अंदर कितनी सफाई होगी।

प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का मखौल उड़ाता है उन्नाव स्टेशन परिसर

सफाई के नाम पर खानापूरी के अलावा और कुछ नहीं है। स्टेशन परिसर को साफ सुथरा रखने में स्थानीय अधिकारी नाकामयाब है। इस संबंध में बातचीत करने पर स्टेशन अधीक्षक कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि स्टेशन विश्व में कोई बातचीत नहीं होगी। प्रेस से बातचीत करने पर रोक लगी। गौरतलब है उन्नाव स्टेशन अधीक्षक रेलवे के स्थानांतरण नियम की धज्जियां उड़ाते हुए उन्नाव स्टेशन पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। बताया जाता है उन्नाव के ही होने के कारण उनका विशेष लगाव है स्टेशन से इसलिए स्थानांतरण पर नहीं जाना चाहते हैं। इसमें विभागीय मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है।

लखनऊ कानपुर के बीच है उन्नाव

साक्षी महाराज यूं ही नहीं कहते हैं कि लखनऊ कानपुर के बीच उन्नाव है। लखनऊ और कानपुर जनपद वासियों के लिए उन्नाव कर्म भूमि है। जहां वह कर्म करके वापस अपने घर होते हुए चले जाते हैं। इसलिए उन्नाव का विकास नहीं हो रहा है। साक्षी महाराज के कथन में दम है। उन्नाव रेलवे स्टेशन इसका प्रमुख उदाहरण है। कानपुर लखनऊ के बीच उन्नाव जनपद में कानपुर पुल बाया किनारा, मगरवारा, उन्नाव, सोनिक, अजगैन, कुसुंबी, जैतीपुर स्टेशन अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लेकिन उपरोक्त सभी स्टेशनों की स्थिति बद से बदतर है। किसी में भी प्लेटफॉर्म मानक के अनुरूप नहीं है। मूलभूत आवश्यकताओं का नितांत अभाव है। मुख्यालय स्थित उन्नाव जंक्शन रेलवे स्टेशन इसकी बानगी है।

पूर्व सांसद अन्नू टंडन भी कर चुकी है मॉडल स्टेशन बनाने का प्रयास

जिसे पूर्व सांसद अन्नू टंडन मॉडल स्टेशन के रूप में बजट पास कराया था। उसके बाद विगत वर्ष एक बार फिर मॉडल स्टेशन के रूप में उन्नाव को विकसित करने के लिए बजट आया। लेकिन इस बजट से क्या निर्माण कार्य हुआ। इस विषय में स्थानीय अधिकारी कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है और न ही इसका इस तरह का कोई सूचना पट उन्नाव रेलवे परिसर पर लगाया गया है। मॉडल स्टेशन में विकलांग यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था का इंतजाम होता है। वह भी उन्नाव में नहीं है। इसके अतिरिक्त यात्रियों को प्लेटफार्म पर टीन शेड उपलब्ध नहीं है। जिससे गाड़ी आने पर उन्हें भाग दौड़ करनी पड़ती है। कहीं ट्रेन न छूट जाए। पांच प्लेटफार्म वाले जंक्शन स्टेशन पर यात्रियों को शौचालय की भी व्यवस्था ठीक-ठाक नहीं है। जबकि उन्नाव रेलवे स्टेशन से लखनऊ के अतिरिक्त कानपुर, रायबरेली, इलाहाबाद, बालामऊ, जम्मू तक की गाड़ियां जाती है। इसके बाद भी रेलवे प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है उन्नाव का जंक्शन रेलवे स्टेशन।