
मां चंडिका देवी बक्सर: उत्तर मुखी मां गंगा हमेशा सीढ़ियों से सटकर बहती हैं, माता के दो विग्रह में स्थापित
शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर देवी मंदिर शक्तिपीठ पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसी क्रम में आज हम आपको मां गंगा के तट पर स्थित चंडिका देवी मंदिर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के विषय में जानकारी देते हैं। सबसे खास बात यह है कि मां गंगा मंदिर की सीढ़ियों से सटकर हमेशा बहती हैं। मेघा ऋषि ने मां दुर्गा की विशेषताओं का वर्णन राजा सूरत और समाधि वैश्या को सुनाया था। जो दुर्गा सप्तशती के नाम से जाना गया। महाभारत काल में बलराम ने माता चंडिका देवी के दर्शन व पूजा अर्चना की।
पंडित विजय कुमार तिवारी ने बताया कि यहीं पर महान तपस्वी ऋषि वक्र का आश्रम था। जिसके कारण बक्सर नाम से विख्यात हुआ। चंडिका देवी धाम में माता की दो विग्रह स्थापित हैं। जिनमें से एक की मां चंडिका और दूसरे की मां अंबिका के रूप में पूजा अर्चना होती है। यहां पर गंगा उत्तर मुखी बहती है। जिसके कारण यहां का विशेष महत्व है। इस क्षेत्र को काशी नगरी के बराबर महत्व दिया जाता है।
मां दुर्गा के महत्व को यहीं सुनाया गया
मेधा ऋषि ने राजा सूरथ और समाधि वैश्य को मां दुर्गा की विशेषताओं के संबंध में वर्णन किया था। जो दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्धि मिली है। शोभन सरकार ने मंदिर को भव्यता प्रदान की। अपनी देख देख में उन्होंने यहां का सुंदरीकरण कराया। बड़े-बड़े परिसर बनाए गए। पंडित विजय कुमार तिवारी ने बताया कि माता के चरणों में माथा टेकने वालों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है, कष्ट दूर होते हैं।
मां चंडिका देवी की तरफ जाने वाले मार्ग
मां चंडिका देवी का भव्य दरबार सड़क मार्ग से जुड़ा है। उन्नाव से अचलगंज, लाल कुआं होते हुए माता के दर्शन के लिए जा सकते हैं। रायबरेली, फतेहपुर, कानपुर से बड़ी संख्या में भक्तगण माता के दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर 12 महीने भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी माता के दर्शन कर चुके हैं।
Published on:
18 Oct 2023 08:46 am
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