22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी की पुण्यतिथि पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, बताए गए आदर्शों पर चलने का लिया निर्णय

चल अचल संपत्ति दान देकर की प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना- बीके कुसुम

2 min read
Google source verification
Prajapati Brahma Kumari punyatithi program in Unnao UP hindi news

चल अचल संपत्ति दान देकर की प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना- बीके कुसुम

उन्नाव. सत्य परमात्मा को जानने की प्रबल इच्छा रखते थे। इसलिए सत्य, ईश्वर को पाना चाहते थे। वह हमेशा गुरु का बहुत सम्मान करते थे। गुरु के बहुत ही आज्ञाकारी थे। घर पर पोते का जन्म उत्सव कार्यक्रम था। उसी समय उनके गुरु का फोन आया और उन्होंने तत्काल बुलाया। घर पर फंक्शन होने के बावजूद लेखराज तत्काल गुरुजी के पास चले गए। सिविल लाइन स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र की संचालिका बीके कुसुम ने प्रजापिता ब्रह्मा लेखराज के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये उक्त विचार व्यक्त किया। संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मकुमारी की पुण्यतिथि स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के वास्तविक संस्थापक निरंकार परमपिता परमात्मा शिव हैं। जिन्होंने प्रजापिता ब्रह्मा दादा लेखराज को साकार रुप में नई दुनिया की स्थापना के ईश्वरीय कार्य के लिये चुना व माध्यम बनाया।


कोलकाता में था बड़ा व्यापार

बी. के. कुसुम ने कहा कि दादा लेखराज 1876 में हैदराबाद सिंध के कृपालिनी परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता स्कूल के अध्यापक थे। उनके माता का बचपन में ही देहावसान न हो गया था। उनमें भक्ति, पूजा के संस्कार बचपन से ही थे। साधु संतों के सत्संग में बहुत रुचि रखते थे। वे विष्णु भक्त थे। नारायण का चित्र उनके पैकेट में पड़ा रहता था तथा गीता पाठ किया करते थे। उन्होंने कहा कि लेखराज ने अपने हीरे जवाहरात के कारोबार को कोलकाता में था समेट लिया और घर पर सत्संग करने लगे। जो प्रारंभ में ओम मंडली नाम से शुरु हुआ। उन्होंने 1935 में माताओं बहनों का एक ट्रस्ट बनाकर अपनी चल अचल संपत्ति दान कर दी। जो प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से विख्यात है। जिसका हेड क्वार्टर माउंट आबू राजस्थान में स्थित है। बीके ने कहा कि तन, मन, धन सब हेड क्वार्टर समर्पण करते हुए 93 वर्ष की अवस्था में आज के ही दिन 18 जनवरी 1969 ईस्वी को संसार से विदा हो गए। इस मौके पर सभी भाई बहनों ने प्रजापिता ब्रह्मा के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके बताए गए आदर्शों पर चलने का निर्णय लिया।