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सावन स्पेशल: त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि ने लव कुश से कराई शिवलिंग की स्थापना, नाम पड़ा बल खंडेश्वर

उन्नाव में त्रेता युग के दौरान कई शिवलिंग की स्थापना की गई थी जिनका संबंध मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़ा है। जिनमें बल खंडेश्वर महादेव मंदिर भी है। मान्यता है कि महर्षि बाल्मीकि ने लव-कुश से बल खंडेश्वर शिवलिंग की स्थापना करवाई थी। जहां पर साल के 12 महीने भक्त जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। सावन के महीने में विशेष आयोजन भी होते हैं।

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सावन स्पेशल: त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि ने लव कुश से कराई शिवलिंग की स्थापना, नाम पड़ा बल खंडेश्वर

सावन स्पेशल: त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि ने लव कुश से कराई शिवलिंग की स्थापना, नाम पड़ा बल खंडेश्वर

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में लव कुश ने शिवलिंग की स्थापना की थी। मान्यता है इस शिवलिंग की स्थापना महर्षि बाल्मीकि ने कराई थी। त्रेता युग में जब अश्वमेध यज्ञ का 'अश्व' यानी 'घोड़ा' को छुड़ाने के लिए अयोध्या की सेना आ रही थी। महर्षि बाल्मीकि आश्रम के पास स्थित शिवलिंग को बाबा बल खंडेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्धि मिली है। यहां पर कानपुर, लखनऊ और उन्नाव से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। सावन के महीने में बाबा बल खंडेश्वर मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। रुद्राभिषेक के लिए भी भक्तों का तांता लगा रहता है।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी मैया सीता का परित्याग किया था। महर्षि बाल्मीकि ने वनवास के दौरान जानकी कुंड परियर में उन्हें आश्रय दिया। यहीं पर उन्होंने लव कुश ने जन्म लिया था। जिनका बाल्यकाल यही बीता था। खेल खेल में लव कुश अयोध्या के राजा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ लिया था।

अयोध्या से श्री राम की सेना आ रही थी

जानकी कुंड परियर के पुजारी पंडित रमाकांत ने बताया कि अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को छुड़ाने के लिए अयोध्या से भगवान श्री राम की सेना आ रही थी। जिसका नेतृत्व भरत कर रहे थे। महर्षि बाल्मीकि ने श्री राम की सेना के बल को खंडित करने के लिए लव कुश से शिवलिंग की स्थापना कराई। जिसे बाबा बल खंडेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्धि मिली।

सावन के महीने में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

भोले भक्त शिव विलास शर्मा ने बताया कि जानकीकुंड परियर के आसपास का क्षेत्र त्रेता युग में घटित घटनाओं से जुड़े कई धार्मिक स्थल है। यहां पर दूर-दूर से भक्तगण जलाभिषेक के लिए आते हैं। वैसे तो 12 महीने यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन महाशिवरात्रि, सावन माह, पूर्णमासी और अमावस्या को बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंचते हैं।

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कैसे पहुंचे?

जानकी कुंड परियर बल खंडेश्वर महादेव का मंदिर सड़क मार्ग से जुड़ा है। कानपुर से बिठूर होते हुए गंगा नदी पार कर यहां पहुंचा जा सकता है। जनपद मुख्यालय से यहां की दूरी लगभग 29 किलोमीटर है। चकलवंशी चौराहा होते हुए जानकी कुंड परियर का रास्ता है। चकलवंशी चौराहा उन्नाव-बांगरमऊ-सीतापुर मार्ग पर स्थित है। लखनऊ से हसनगंज होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। दूरी लगभग 76 किलोमीटर है।